Thursday, September 17, 2015

आश्विन संग्राम

संग्राम का समय अब आ गया लगता है
मधेसी याद करो अपना इतिहास
भविष्य अंधेरा मत होने दो
उपनिवेश और गुलामी की जिन्दगी भी
कोइ जिन्दगी है क्या

नेपाल एक कुँवा हुवा करता था
फिर से बना देंगे कुँवा
अगर जरुरत पड़ी तो
मधेसकी अस्मिता से खेलनेवालों को
मुँहतोड़ जवाब देंगे

संविधान सहमति का दस्तावेज होता है
हमारे सहमति के बगैर उसको भी नहीं मिलना
समानता
हम नहीं चलनेवाले उसके समयतालिका पर

इस २१वीं शताब्दी में आकर कोइ सोंचे
अनागरिक बना के रखेंगे, दुसरे दर्जे का नागरिक बना के रखेंगे
वो सपना देख रहे हैं
उसका संसद, उसका संविधान
हमारा नहीं
मिट्टी हमारी

हौसला बुलंद रखो
इस क्रांति का कोइ डेडलाइन नहीं है
है तो सिर्फ एक गंतव्य
समानता लेंगे
देश तोडना होगा तो तोड़ देंगे
बगैर समानता के अब नहीं रुकने वाली ये क्रांति



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