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Monday, January 22, 2024

Bhakti Marg: The Easiest Way To Understand The Kalkiist Manifesto

The most awaited person in human history is here on earth in human incarnation. Christians pray to him to come become king of all earth. Hindus wait for him to come end this Kali Yuga, this age of much sin. He is the long awaited Messiah of the Jews. Buddhists know why he was given every possible luxury as a child in his previous human incarnation as Lord Buddha. There has never before been one king for all earth. There are prophecies He has fulfilled. More important, for the first time in 5,000 years someone has presented a roadmap to end this Kali Yuga. It is a book anyone can choose to read. It is up for public discussion. Hindus have a name for Him, Lord Kalki. The easiest way to prove He is not Lord Kalki is for anyone to prove the roadmap that has been presented is not it. So far nooone has even tried.

Lord God is here and He is in human incarnation. Hindus know him as Vishnu. Jews call him Yahweh. And He is here.



Lord God the Holy Father is here on earth in human incarnation.

The roadmap is called The Kalkiist Manifesto. I had the honor to read the early drafts of the book before it got published. At first it was hard for me to understand. But once I came to know who the author was, the book became plain as can be.

Thursday, December 14, 2023

100 Top Economists In Kathmandu Have Endorsed The Kalkiist Manifesto



कल्किवादी मेनिफेस्टो समझनेका सबसे आसान तरिका भगवान कल्कि के परिचयको समझना
Will Clean Sweep The Next Election
नमस्ते बोलु आ चाहे बोलु नमशैतान
Jay Sah On Rishi Dhamala's TV Program
कलियुग के अंत का शंखनाद जनकपुरधाम से
Moving From GDP To Gross Domestic Requirement (GDR) As Per Kalkiism
An Omnipotent, Omniscient, Omnipresent God
Ravan Babhan
It Is Going To Be Easy For Modi To Identify Lord Kalki
NamaShaitan MahaAbhiyan
Can't Harvest AI Without The Knowledge Of Geeta
मानव इतिहास के सबसे अधिक प्रतिक्षित व्यक्ति अभी धरती पर हैं
One Nation, One Employer
30 September Event: Kalkiism
It Will Start In Nepal: Shankaracharya
नया जातीय व्यवस्था
Kathmandu Talk Program: Moneyless Society: 22 September
प्रत्येक धर्म को भगवान कल्कि का इंतजार
अधर्म से धर्म की ओर: हिन्दु राष्ट्र
Kali Yug Ke Ant Ka Shankhnaad Janakpur Se
Kalkiist Manifesto: The Book Is Out In India
हमेशा के लिए समाधान की जरूरत
All My Blog Posts Lead To The Kalkiist Manifesto
हरे कल्कि
"तुम मुझे सच्चा ब्राह्मण दो, मैं तुम्हें हिंदु राष्ट्र दुंगा।" - जय साह
Benefits Of Cashless/Moneyless Economy
धर्म निरपेक्षता का इतिहास और वर्तमान
हम नगर जगाने आए हैं
Arrow In Belly
Sudhanshu Trivedi: When Lord Ramas' Birth Chart Was Inserted Into NASA Software (राम भगवान की जन्म कुंडली)
प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?
50 Implications Of The Kalkiist Manifesto
"तुम मुझे असली ब्राह्मण दो, मैं तुम्हें वैदिक अखंड भारत दूुंगा।"
The End Of The Kali Yuga Is Near
The Four Ages
भविष्य पुराण ५,००० साल पुरानी ग्रन्थ
सत्य युग समाज पार्टी नेपाल की अगली चुनाव क्लीन स्वीप करेगी
जय साह उवाच
नमशैतान महाअभियान
Madhesi Picnic, Philadelphia
The Karma Manifesto

Wednesday, November 22, 2023

नमस्ते बोलु आ चाहे बोलु नमशैतान



शुरू करू कलि युग अंत के महाअभियान
नमस्ते बोलु आ चाहे बोलु नमशैतान



Sunday, September 10, 2023

अधर्म से धर्म की ओर: हिन्दु राष्ट्र



भगवान कल्कि द्वारा किया गया नेपाल को हिन्दु राष्ट्र बनाने की घोषणा विश्व में धर्म की पुनर्स्थापना करने की घोषणा है। ये नेपाल को अधर्म से धर्म की ओर ले जाने की घोषणा है। 

हिन्दु गैर हिन्दु की बात ही नहीं उठती। यहुदी को जिस मसीहा का इन्तजार है वे हैं भगवान कल्कि। दुनिया के प्रत्येक चर्च में प्रत्येक रविवार को प्रार्थना करते हैं। २,००० साल से करते आ रहे हैं। कि हे ईश्वर, धरती पर तेरा प्रत्यक्ष शासन चाहिए। वो भगवान कल्कि को ही सम्बोधन कर रहे हैं। पैगम्बर मुहम्मद फिर से आए हैं और इमाम मेहंदी हैं। वे भगवान कल्कि का प्रत्यक्ष नेतृत्व मानेंगे। दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलम्बी जानते हैं कहानी कि बालक सिद्धार्थ के बारे में कहा गया या तो ये सारे पृथ्वी का राजा बनेगा या जोगी। तभी जोगी बने। अब राजा बनेंगे। किसी से छुपी बात नहीं रहेगी। 

भगवान श्रीकृष्ण ने राजनीति को धर्म से जोड़ने के लिए ढेर सारा काम किया। भगवान राम तो अयोध्या के राजा ही थे। 

अधर्म से धर्म की ओर जाना है। नेपाल को हिन्दु राष्ट्र  बनाना है। 


Monday, September 04, 2023

हमेशा के लिए समाधान की जरूरत



हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे बुद्ध हरे बुद्ध
बुद्ध बुद्ध हरे हरे
हरे कल्कि हरे कल्कि
कल्कि कल्कि हरे हरे

क्या हमारा समाज जो हिंदु, मुस्लिम, बड़ी जातियों और छोटी जातियों में बंटा हुआ है इसे हमेशा के लिए समाधान की जरूरत नहीं?



ईसाई खुलकर हिंदु धर्म का विरोध करने लगे, मुलवासी मंगोल खुलेआम धर्म का विरोध करने लगे, कौन गारंटी दे सकता है कि कलको मुसलमान यह नहीं कहेगा कि मैं जानकी मंदिर के पिछे गाय मार कर खाऊंगा? हम हर तरफ से हिंदु विरोधी लोगों से घिरे हुए हैं। हमारे देश के नेताओं में एकता नहीं है, सभी नेता पैसों के लिए हिंदु विरोधी हैं और देश को कभी भी हिंदु राष्ट्र न बनने देने के लिए लगे हुए हैं। धर्मनिरपेक्ष। कब तक हम इसी तरह हिंदु जातियों में बंटे रहेंगे? आज तक जितने भी लोग मुसलमान बने हैं, जब वे हिन्दु थे तो उन्हें निचली जातियों में रखा गया था। समाज की जाति व्यवस्था से क्षुब्ध होकर उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। आज नेपाल में चाहे कितने भी ईसाई बन गए हों, वे सभी हिंदु समाज की जाति व्यवस्था के कारण हिंदु धर्म छोड़कर ईसाई बन रहे हैं। हमारे धर्मकी जाति व्यवस्था जो मछली, मांस, शराब और सिगरेट खाता है उसे ब्राह्मण बना देता है और जो मछली, मांस, शराब नहीं खाता उसे कहता है कि तुम दलित और शूद्र हो क्योंकि एकका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ है और दुसरेका दलित कुलमें हुआ है। जन्म पर आधारित यह जाति व्यवस्था समाजको तोड़ रही है। हम इस 4000 साल पुरानी जाति व्यवस्थाको कब तक बरकरार रखेंगे? यदि समाजमें जन्मके आधार पर नहीं बल्कि कर्मके आधार पर जाति व्यवस्था लागु कर दिया जाए तो नेपाल में जल्द ही हिंदु धर्म पुनः स्थापित हो जाएगा और नेपाल एक वैदिक हिंदु राष्ट्र बन जाएगा और जो लोग नाराज होकर वहां से चले गए वे सभी हिंदु धर्म में वापस आ जाएंगे। अब बदलाव लाना ही होगा, नहीं तो जल्द ही हम नेपाल में गोमांस खाने वाले रावणों से चारों ओर से घिर जायेंगे। मछली, मांस, शराब, सिगरेट, गुटखा खानेवाले सभी परिवारोंको ब्राह्मण जाति से बाहर करना है और जो परिवार नहीं खाते हैं उन्हें ब्राह्मण जाति में रखना है। जब तक हम अपने घर की गंदगी साफ नहीं करेंगे, बाहर के सभी लोग हमारी ओर देखेंगे, जो लोग उन्हें पसंद नहीं करेंगे वे घर छोड़ देंगे और बाहर से हमला भी करेंगे। जिस दिन हमारा घर साफ-सुथरा होगा, हर कोई हमारा सम्मान करेगा और हमारे साथ इसी घर में रहनेको अनुरोध करेगा।

उन लोगों के लिए जो नेपाल में गोमांस खाना चाहते हैं: आपको जो चाहें खाने का पुरा अधिकार है। लेकिन गोमांस खाने की आपकी इच्छा हमें चुनौती देने के लिए आती है, न कि अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करने के लिए। आप जो चाहें अपने कमरे में खाएं, न कि सार्वजनिक रूप से और न ही सोशल मीडिया पर। धार्मिक भावनाओंको ठेस पहुंचाना और सामाजिक खानपानके व्यवहार को चुनौती देना दो अलग-अलग चीजें हैं। गाय हमारे लिए पवित्र है। आपने जो किया है वह निंदनीय है। यह उचित होता अगर आप कुत्तों और गधों के मांस से शुरुआत करते, जो हम नहीं खाते। तुरंत गाय से शुरुआत करना हमारी धार्मिक भावनाओं पर सीधा हमला है, न कि आपकी खाने की आज़ादी का प्रयोग। इसका मतलब यह है कि अब हमें आपकी ईशनिंदा गतिविधियों पर उचित प्रतिक्रिया देने के लिए आपकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार है। यदि आपने कुत्तों और गधों का मांस खाया होता, तो हम आपके धर्म को आंकने का प्रयास नहीं करते। अगर कानुन आपको सजा नहीं देगा तो यह हम हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। या तो कुत्तों और गधों को खाना शुरू करें या गोमांस खाने से पहले हिंदुओं द्वारा गाय की पुजा करने की प्रथा को बदलने के लिए एक आंदोलन शुरू करें। अन्यथा हम बहुसंख्यक होने के नाते अपने अधिकारों की रक्षा के लिए नेपाल में एक हिंदु संविधान चाहते हैं।

प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?



त्रेता युग में भारत के एकमात्र ब्राह्मण रावण का परिवार मांस खाता था, शराब पीता था और तम्बाकु सेवन करता था। लेकिन आजके घोर कलियुग में ९९% ब्राह्मण परिवार मांस खाते हैं, शराब पीते हैं और तम्बाकुका सेवन करते हैं। त्रेता युगमें १००% ब्राह्मण वेदोंकी पद्धति का पालन करनेवाले थे, लेकिन अब घोर कलियुगमें एक भी ब्राह्मण वेदोंकी पद्धति का पालन करने वाला नहीं है।

एक धार्मिक परंपरा है कि यदि ब्राह्मण वेदों के नियमों में विश्वास करते हैं तो वे मछली, मांस, शराब, सिगरेट आदि का सेवन नहीं कर सकते। आज हमारे हिन्दु धर्म के पतनका सबसे बड़ा कारण यह नकली ब्राह्मण है जो मछली और मांस खाता है। आज के समाज में बहुत से लोग ब्राह्मण जाति को हिंदु धर्मका चेहरा मानकर ब्राह्मणोंके बजाय संपुर्ण हिंदु धर्मका विरोध करने लगे हैं। हमारे समाज में हिंदु धर्मकी पुनर्स्थापनाके लिए हमें वास्तविक ब्राह्मणों की आवश्यकता है जो वेदों की प्रणाली में वर्तमान से कहीं अधिक विश्वास रखते हों। जिसे समाज की अन्य सभी जातियां सर्वसम्मति से मान-सम्मान देंगी। इस नकली, वेदों को न मानने वाले ब्राह्मण के रहते हमारा देश नेपाल कभी भी हिन्दु राष्ट्र नहीं बन सकता। जिस दिन नेपाल का समाज और सरकार सभी ब्राह्मणों को ब्रह्मचर्य का पालन करायेगी, उस दिन न केवल हिन्दू राष्ट्र बल्कि हिन्दु जगत की भी नींव पड़ेगी। और नेपाल विश्व गुरु बनेगा।

अब समाज में दो तरह के लोग हैं. जिसके हृदय में ईश्वर है वह हिंदु धार्मिक वेदों का सम्मान करेगा। उनका स्वागत नमस्ते से करें। वेदोंका पालन करनेवाले लोग कलियुगके अंतमें धर्मके संस्थापकके रूपमें जाने जाते हैं। जिनके हृदय में शैतान है वे हिंदु धार्मिक वेदोंके नियमों का विरोध करेंगे। उनका अभिवादन नमशैतान कह के किया जाना चाहिए, नमस्ते कहके नहीं। जो लोग वेदोंका पालन नहीं करते उन्हें कलियुग के अंत में रावण की सेना के रूप में जाना जाएगा। अब वह दिन आ गया है जब समाज में वेदों को न मानने वाले रावणों को उजागर किया जायेगा।

अधिनायकवादी शासन में: उत्तर कोरिया के किम जोंग उन जनरल हैं और सेना के बाकी सभी लोग सैन्य वर्दी में हैं, लोगों का कोई मुल्य नहीं है। यदि हम भारत में सामाजिक संगठन की संरचना पर नजर डालें तो आरएसएस, बजरंग दल जैसे धार्मिक संगठनों में संगठन का प्रमुख सेनापति होता है, संगठन के अन्य सभी सदस्य सेना होते हैं और जनता धन का स्रोत होती है और वे होते हैं नंगे हाथों से लड़नेवाले सेना।

लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में: सत्ययुग समाज पार्टी के लिए, लोग धर्म के रक्षक/धर्म के संस्थापक हैं, प्रधानमंत्री कल्कि सेनाके कमांडर हैं। राजनीतिक नेता, नेपाल पुलिस, नेपाली सेना सभी राम/कृष्ण/कल्कि सेना की उपाधि से जाने जाते हैं। यदि धर्म की स्थापना करने वाले लोग नहीं चाहते कि आप वोट डालें तो ये तीन प्रकार की कल्कि सेना देश और धर्म को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकती।

आप कल्कि सेना को आदेश दें कि आप कैसा देश चाहते हैं और वे आपके लिए उसी के अनुसार देश का निर्माण करेंगे। आप केवल एक दिन: मतदान के दौरान ऑर्डर दे सकते हैं। वोट के दौरान रावण सेना भी आपसे वोट मांगने/लेने आयेगी जो हमारे धर्म के खिलाफ हैं। चाहे आप नेपाल के नेता, पुलिस, सेना का नियंत्रण रावण सेनापति के हाथ में दें या कल्कि सेनापति के हाथ में, यह निर्णय आपको ही करना होगा। चाहे आपको रावण की व्यवस्था चाहिए या राम की व्यवस्था चाहिए, आपको उस चुनाव के बारे में केवल एक दिन सोचने का अधिकार है। तो वह अधिकार ५ वर्षके लिए निरस्त कर दिया जाता है।

मैं जनकपुरमें नामशैतान आंदोलनका नेतृत्व करनेके लिए जनकपुर के प्रत्येक वार्ड में कुछ धर्म संस्थापक स्वयंसेवकों की तलाश कर रहा हुँ। इस आंदोलनका उद्देश्य हिंदुओं की सुशुप्त भावनाको जागृत करना है और नेपाल सरकारसे वास्तविक ब्राह्मणों की मांग की जाएगी। आज ९९% से अधिक ब्राह्मण मांस खाते और शराब पिते हैं जो वेदोंके विपरीत है। हमें वेदोंका समर्थक ब्राह्मण चाहिए, वेदोंका विरोधी ब्राह्मण नहीं। यह आंदोलन समाजको दो गुटोंमें बांट देगा: एक जो कहता है कि ब्राह्मण परिवारके किसी भी व्यक्तिको मांस खाने और शराब पिनेकी अनुमति नहीं दि जानी चाहिए। वे लोग धर्म संस्थापक कल्कि सेना कहलायेंगे। दुसरे गुटको धर्म विरोधी रावण सेना कहा जाएगा, जो कहता है कि ब्राह्मणों और उनके परिवारके सदस्योंको रावण की तरह मांस खाने और शराब पिने, सिगरेट पिनेकी अनुमति दि जानी चाहिए, जैसा कि त्रेता युगमें रावण ने किया था।

जनकपुर से शुरू होकर यह आंदोलन पुरे देश में फैल जाएगा और फिर नेपालके आंदोलनके समर्थन से पुरे भारतमें फैलेगा। यह "नमशैतान महाअभियान" तैयार किया गया है, जो अन्ना हजारे के जन लोकपाल आंदोलन से हजारों गुना बड़ा होगा। नेपालका झंडा हर धर्मके संस्थापकके घरके सामने लगाया जाना चाहिए। जनकपुर में झंडेवाले या बिना झंडेवाले घर ज्यादा हैं? उसके आधार पर आप बता सकते हैं कि जनकपुर धर्म संस्थापकों की नगरी है या रावण की सेना की नगरी। जनकपुरके लोगों और बाँकी नेपाली लोगोंकी आत्मा पुरी तरह से जागृत होकर, राष्ट्र में धर्म या रावण की सेना के संस्थापक होने का निश्चय करने के बाद, यह निर्धारित करने के बाद कि धर्म संस्थापक अधिक है या रावण की सेना अधिक है, हम आंदोलन के अगले चरण में प्रवेश का निर्धारण करेंगे।

यदि धर्म संस्थापक बहुमत में हैं तो हम सरकार से कलियुग के अंत के लिए एक शोध दल बनाने की मांग करेंगे। यदि रावण की सेना बहुमत में है, तो हम मांग करेंगे कि वे फलों और मिठाइयों के बदले मंदिरों में मुर्गे की टांगें चढ़ाना शुरू करें। अंत में, धर्म के संस्थापक रावण की सेना के साथ युद्ध करने के लिए कल्कि की सेना का नेतृत्व करेंगे। लेकिन यह लड़ाई गोलियों से नहीं बल्कि मतपत्रों से लड़ी जाएगी।

आगामी चुनाव में यदि धर्म संस्थापक अपनी सरकार बनाते हैं तो नेपाल विश्व गुरु बनेगा। यदि रावण की सेना जित गई तो नेपालको घोर कलियुगमें धकेल दिया जाएगा। हमेशाके लिए।

प्राचीन जाति व्यवस्था पेशेके आधार पर बनी थी लेकिन अब इसे जन्मके आधार पर संशोधित कर दिया गया है। जाति प्रथाके कारण विवाह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। शाकाहारी माता-पिता अपने बच्चों की शादी मांस खानेवाले परिवारोंमें करना पसंद नहीं करते। भले ही वे मांसाहारी हों, कुछ लोग अपने समुदाय की भावनाओं और रीति-रिवाजों के अनुसार गाय, सुअर या अन्य जानवरों का मांस खाना पसंद नहीं करते हैं। इसके समाधान हेतु जाति व्यवस्थाकी एक सर्वथा नवीन प्रथा का यह रूप होगा।

1. ब्राह्मण: जिस परिवार में कोई मछली, मांस, तम्बाकु नहीं खाता तथा शराब नहीं पीता।
2. सोलकन: एक परिवार जो सुअर और गाय के अलावा अन्य मांस खाता है और शराब और निकोटीनका सेवन करता है। इस समुहको आगे विभाजित किया गया है:
समुह क: शराब और सिगरेट का सेवन करना लेकिन मछली और मांस नहीं खाना।
समुह ख: मछली, मांस खाता है लेकिन शराब नहीं पिता और तंबाकुका सेवन नहीं करता।
समुह ग: सभी मांस, शराब और तंबाकु खाएं।
3. दलित: वह परिवार जो सुअर या उसके समान मांस खाता है।
4. शुद्र: वह परिवार जो गाय या उसके समान जानवर खाता है।

इस जाति व्यवस्थाकी निगरानी एक आईडी प्रणालीसे कि जाएगी ताकि लोगोंको उनकी वास्तविक जातिके अलावा अन्य जातियों से भोजन चुराने से रोका जा सके। सभी मांस, शराब, सिगरेटको शहरके बाहर नेपाली विचारधाराके अमेज़ॅन सेंटर जैसे बड़े प्रवर्धन केन्द्रमें एकत्र किया जाएगा और केवल आईडी और अनुरोध के साथ घर-घर पहुंचाया जाएगा। जो व्यक्ति जीवन भर दुसरेके धार्मिक कार्योंके लिए मांस और मछलीका त्याग करता है, वह हमारे समाजके लिए सदैव सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसीलिए ब्राह्मण सदैव हिंदु धर्ममें सर्वोत्तम जाति रही है और रहेगी। हालाँकि, मछली, मांस, शराब और सिगरेटका सेवन करने वाले परिवारको हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली और मांस खाने वाला ब्राह्मण को कोई मुर्ख ही सर्वोत्तम जातिका मान सकता है। एक बुद्धिमान हिंदु इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मछली-मांस, शराब, सिगरेटका सेवन करनेवाले परिवारको हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली, मांस, शराब और सिगरेटका सेवन करने वाले परिवारोंको ब्राह्मण जाति से निकाल कर दलित वर्गमें रखा जाना चाहिए और वैष्णवोंको ब्राह्मण वर्णमें आनेका मौका दिया जाना चाहिए। नई जाति व्यवस्था काम पर आधारित होनी चाहिए, जन्म के आधार पर नहीं। दलितों और मुसलमानोंको भी ब्राह्मण बननेका मौका मिलना चाहिए।

इस व्यवस्थाके आनेके बाद ही सभीका हिंदु धर्मके प्रति सम्मान बढ़ेगा। जिस दिन धर्मकी पुनर्स्थापना होती है, उसके अगले दिनसे अधर्म और अधर्मीका विनाश प्रारम्भ हो जाता है। जब तक सभी हिंदु ब्राह्मणोंको श्रेष्ठ जाति के रूप में मान्यता नहीं देते, तब तक हिंदु धर्मकी बहाली नहीं हो सकती। भारत ने चार हजार साल पहले जाति व्यवस्था की प्रथा शुरू करके समाज को संघर्ष में धकेल दिया था। अब समय आ गया है कि नेपाल इस प्रथाको दुर करे और नई समयबद्ध व्यवस्था लागु कर विश्वगुरु बने।

नई जाति व्यवस्था के उदयके साथ, एक धनहीन समाज का निर्माण करते हुए, सत्ययुग समाज पार्टी ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक वयस्क को सरकारी नौकरी देने और देश में अन्य सभी प्रकार के काम, व्यवसाय या निवेश के अवसर देने का कानुन बनाएगी। पुरे देश में केवल एक ही नौकरी देनेवाला होगा: सरकार। साथ ही, चुँकि सभी उत्पादों की कीमत घंटों, मिनटों और सेकंडों में होगी, इसलिए भुगतान समय के युनिट में होगा, न कि रुपये में। मुकेश अंबानी, शाहरुख खान जैसे अमीर लोग, भिखारी जैसे गरीब लोग, किसान, गृहिणियां, पुजारी और कॉलेज के छात्र, कॉलेज में पढ़ाई के दौरान बुढ़े लोग सभी को सरकारी प्रणाली के तहत सरकारी नौकरियां मिलेंगी। म्लेच्छ और दहेज प्रथा को खत्म करने और कलियुग को समाप्त करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाएगी। जिस प्रकार राम को रामसेना की आवश्यकता थी और कृष्ण को नारायणसेना की आवश्यकता थी, उसी प्रकार कलियुग को समाप्त करने के लिए कल्कि को कल्किसेना की आवश्यकता होगी। नई जाति व्यवस्था का दुसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि हर लड़की सरकारके साथ यह डेटा (रिकॉर्ड) निकालकर तय कर सकती है कि एक लड़का प्रतिदिन कितनी शराब, गुटखा, सिगरेट पिता है कि उसे उस लड़केसे शादी करनी है या नहीं। और फिर कल्किवादके सहयोग से दहेज प्रथा भी दुर हो जायेगी।

धर्म संस्थापक कोई सामाजिक या धार्मिक संगठन नहीं है। भविष्यमें कोई भी धर्म संस्थापक यह दिखावा नहीं कर सकेगा कि मैं इस या उस संगठन का सदस्य हुँ। धर्म संस्थापकके नाम पर कोई भी संस्था पंजीकृत नहीं होगी। धर्म संस्थापक एक प्रबुद्ध चिंतनशील आत्माका प्रतीक है। प्रत्येक परिवार धर्म संस्थापक तो हो सकता है, परन्तु धर्म संस्थापक संगठनका निर्माण नहीं कर सकता। हम हिंदु सेना, बजरंग दल, आरएसएस जैसे धर्म संस्थापक हिंदु संगठन नहीं बनाना चाहते। धर्म संस्थापककी सबसे बड़ी कानुनी संस्था सतयुग समाज पार्टी होगी। यह पार्टी कल्कि सेना के माध्यम से "धर्म संस्थापक" की हर मांग को पुरा करेगी।

यदि आप मानते हैं कि आपकी आत्मा जागृत हो गई है, यदि आप मानते हैं कि मंदिर में फल और मिठाइयाँ चढ़ाना मुर्गी के पैरों से बेहतर है, यदि आप चाहते हैं कि कलियुग अब समाप्त हो जाए, तो अपने घर के सामने एक नेपाली झंडा लगाएँ। जिस घरके सामने नेपाली झंडा नहीं होगा उसे रावण सेना का घर कहा जाएगा। उन दानदाताओं को खोजने का प्रयास किया जाएगा जो उन गरीबों के लिए नेपाली झंडे खरीदेंगे जिनके पास पैसे नहीं हैं और वे अपने घरों में नेपाली झंडे लगाना चाहते हैं।

नारदजी ने एक बार लक्ष्मी माता से पूछा, पृथ्वी पर ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि कलियुग की आयु पाँच हजार, पचास हजार, पाँच लाख और पचास लाख साल है। इस दुविधा से उबरने के लिए मनुष्य अपनी बुद्धि से कैसे जान सकता है कि कलियुग के अंत का समय आ गया है? और लक्ष्मीजी ने कहा कि जब सभी मंदिरों पर ताले लगे हैं और सभी शराब की दुकानों पर कतार लगी हुई है, तो भगवान हमें यह समझने का संकेत दे रहे हैं कि कलियुग के अंत का समय आ गया है।

मौजुदा कोरोना महामारीके दौरान यही हुआ है। सभी मंदिरों पर ताला लगा दिया गया और सभी शराब की दुकानों पर हफ्तों तक कतारें लगी रहीं। वह स्थिति भगवान द्वारा हम मानव जातिको यह संकेत देनेके लिए बनाई गई थी कि कलियुगके अंत का समय आ गया है। मटिहानीके जय साहने उसी लॉकडाउन के दौरान अमेरिका में बैठकर बिना पैसे और सोने के समाजका निर्माण करके कलियुगको कैसे समाप्त किया जाए, इस पर किताब लिखी। जिसकी पढ़ाई जल्द ही दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों में होगी।

कुछ लोग कहते हैं कि परमाणु युद्धके बाद कल्कि घोड़े पर सवार होकर हमारे समाज में बचे हुए पापीयोंको मारनेके लिए आकाशसे आएंगे। एक बार कल्कि पापियोंका संहार करना शुरू कर दे तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

यह सतयुग और त्रेतायुग नहीं है। यह कानुनका युग है। यह कलियुग है। कलियुगमें कल्किको भी समाजके नियम और अनुशासनका पालन करना होगा। और वर्तमान कानूनके अनुसार, केवल अदालतें और पुलिस ही मौतकी सज़ा दे सकती हैं। अगर कोई आदमी अचानक घोड़े पर चढ़कर लोगोंको तलवारसे काटनेकी कोशिश करता है तो मौजुदा कानुनके मुताबिक उसे एक ही दिन में जेल भेज दिया जाएगा। और दुसरी बात यह है कि इस कलियुगमें कल्कि कोई जादुई शक्ति लेकर नहीं आनेवाले है। वह बिल्कुल सामान्य इंसान के रूप में आएंगे।

आजके समाजमें यदि कोई कल्कि जैसा बनना चाहता है तो उसके लिए प्रावधान है। समाजके इस प्रावधानको सभी को पुरा करना होगा। वह १००% सामान्य व्यक्ति होगा जो कलियुगको समाप्त करनेके लिए सबसे पहले अपने विचार लाएगा। उन्हें एक घोषणापत्र पेश करना होगा। अनुयायियोंका एक बड़ा आधार बनाना होगा। लोकतांत्रिक तरिकेसे सत्ता हासिल करनी होगी। चुनावमें अन्य ताकतवर पार्टियोंको चुनौती देनी होगी। चुनाव जितना होगा और संविधानमें संशोधन करना होगा। फिर वैदिक नियम लागु करने होंगे। और तभी कानून और अनुशासन अंततः वेदोंके कानुनका उल्लंघन करनेवाले पापियोंको दंडित करेंगे।

एक शिक्षित व्यक्ति के रूप में, मुझे नहीं लगता कि कल्कि अवतार कानुन तोड़ेंगे, अलौकिक जादु दिखाएंगे और सड़क पर घोड़े पर चढ़कर कार में बैठने वाले पापी का सिर काट देंगे। कानुनके माध्यमसे पापियोंको नष्ट करनेका एकमात्र तरिका राजनीतिके माध्यमसे समाजकी व्यवस्थाको बदलना है। इसलिए कल्किको एक राजनीतिक नेताके तौर पर ही खोजा जा सकता है। कोई अन्य रास्ता खोजना असंभव है।

'अगर नेपाली जनता चाहेगी तो अगले चुनाव में धर्म संस्थापक कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध होगा।' यदि जनकपुर के लोग नामशैतान अभियान शुरू करेंगे तो मैं आने वाले चुनाव में कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध का नेतृत्व करूंगा। और आगामी चुनाव में रावण सेना के नेता शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली, प्रचंड, रवि लामिछाने, चंद्रा राउत, उपेंद्र यादव, महंत ठाकुर होंगे.''

------ जय साह

यह अभियान कब शुरू होगा? जिस दिन जनकपुरके आधे से अधिक लोगोंके घरों पर कल्कि सेना के टैग के साथ नेपाल का झंडा होगा, उस दिन जय साहजी अमेरिका से आएंगे और इस महान अभियानकी शुरुआत करेंगे। तब तक नई जाति व्यवस्थाके सारे नियम उनकी लिखी किताबसे पढ़े जा सकते हैं। आप उनके बनाए वीडियो देखकर सारी व्यवस्थाएं जान सकते हैं।

नेपाल एक विश्वगुरु
पुरे नेपाल के लिए जनकपुरधाम मार्गदर्शक



नामशैतान महाभियानके शुभारंभके तुरंत बाद, दुनियाकी सबसे शिक्षित, अनुभवी, उद्यमशील राजनीतिक पार्टी - सत्ययुग समाज पार्टी - का गठन किया जाएगा। जिसमें हर नगरपालिका मेयर बलेन शाह जैसे इंजिनियर और डिप्टी मेयर जैसे कॉरपोरेट जगत की जानकारी रखने वाले एमबीए डिग्रीधारी युवाओं को जगह देगी।

मेरे प्यारे जनकपुर के मुल निवासियों, पुरा नेपाल आपके साथ इस आंदोलनकी शुरुआत करेगा। पुरे नेपाल ही नहीं, भारतके कोने-कोनेसे यहां तक ​​कि भारत के लाल किले से भी इस आंदोलन के समर्थन में नेपाल का झंडा फहराया जाएगा। आप आगे बढ़ें, कलियुगको समाप्त करनेके लिए आगे बढ़नेके लिए पुरी दुनिया हम जनकपुरवालोंको नमन करेगी। केवल जाति व्यवस्था बदलने से कलियुग का अंत नहीं होगा।

दुनिया भरके किसी शहरको कलियुग को समाप्त करने का प्रयास करने का एक शानदार अवसर मिलना चाहिए। कानुनका नियम तो यही है कि यह अभियान एक शहर से शुरू होकर पु रे विश्वमें फैलना चाहिए। यह सौभाग्य जानकीजीने जनकपुरधामको प्रदान किया है। कलियुगके समापनके लिए पवित्र और महान अभियान, नेपालके वैदिक राष्ट्रकी स्थापनाके लिए युगांत अभियान - "नमशैतान महाअभियान" जनकपुरधामसे शुरू होगा। जाति व्यवस्थामें परिवर्तन, दहेज प्रथाका अंत, गरीबीका अंत और अमीरोंका अंत नेपाल से शुरू होगा।

प्रिय ब्राह्मणों, मैंने अपने सर्कलमें आपके लिए लिखा है। नई जाति व्यवस्थाका मेरा प्रस्ताव किसी जातिके ख़िलाफ़ नहीं है। मैंने जातिको मृत पुराने अधिनायकवादी से नई, भविष्यवादी और लोकतांत्रिक ढाँचेमें बदलने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्ताव में, ब्राह्मणों को सर्वोच्च पद दिया गया है, क्षत्रियों और वैश्यों को सभी पहचान खोनी पड़ी क्योंकि वे नई जाति व्यवस्था में सामुहिक रूप से मौजुद नहीं हैं। नई व्यवस्थामें दलित और शु द्र विद्यमान हैं। क्या केवल नामके लिए बड़ी जाति बनना बेहतर है या वास्तव में बड़ी जाति बनना?

अब ब्राह्मण नाम मात्रकी बड़ी जाति है जिसका देश के हर वार्ड, ग्रामपालिका और नगरपालिकामें अन्य जातियों के लोग अपमान करते हैं। यदि आपको यह कहना है कि आप बड़ी जातिके हैं तो आप केवल अपने चार रिश्तेदारोंके बीच ही अहंकार कर सकते हैं। समाजमें यदि आप और जातिके बीच खुलकर बात करते हैं तो आपको अपमानित भी होना पड़ता है और पिटाई भी खानी पड़ती है।

यदि समाजमें कोई नया ब्राह्मण सामने आये तो सब मिलकर उसका सम्मान करेंगे।

हमारे समाज में जिनके पास बहुत पैसा है उनके लिए एक शब्द है "अमीर" और जिनके पास बहुत कम पैसा है उनके लिए "गरीब" शब्द है। हमारे पास मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक शब्द की भी कमी है। अब हमें एक मिल गया - कलित्म। सतयुग समाज पार्टी सभी को कलित्म बनाती है। ऐसे लोगों का समाज जो भगवान कल्कि की आत्मा का हिस्सा हैं - कलित्म का समाज। न अमीरों का समाज, न गरीबों का समाज।

माता सीताकी जन्मस्थली
अब होगा सारा विश्व में महान





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Thursday, November 20, 2014

मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु



विमलेन्द्र निधि को वक्तव्यमा २२ पार्टीको कारणले मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु परेको भनिएको छ। त्यस आरोपले के पुष्टि गर्छ भन्दा खेरी -----  यो भ्रमण मोदी अथवा भारत सरकारले रद्द गरेको होइन। कारण जेसुकै भए पनि नेपाल सरकारको अनुरोधमा नै यो भ्रमण रद्द भएको कुरा पुष्टि गर्छ।

यो बामदेव, सुशील, केपीले "देखाई दिएँ" भनेको हो। बारह बिघा मैदानमा आम जनतालाई सम्बोधन गर्न नदिने कुरामा क्रुद्ध जनतालाई भ्रमण नै रद्द गरेर देखाइदियें भन्न खोजे जस्तो प्रतीत हुन्छ।

यो भ्रमण भारत सरकारले रद्द गरेको होइन। र सरकार बाहिरका दलले भ्रमण आयोजन पनि गर्दैन र रद्द गर्ने ताकत पनि हुँदैन।

भने पछि यो वर्तमान नेपाल सरकारले मोदीको जनकपुर भ्रमण रद्द गरेको स्पष्ट भयो। लानत छ यो सरकार। यो भ्रमणले जनकपुर नगरीको कायापलट गर्न लागेको थियो। त्यो स्वर्ण मौका सुशील, वामदेव, केपीले खोसेका छन।