Tuesday, August 21, 2012

Letting Go Of Monocultural Tendencies

Kosmos Biswokarma in Republica Elite finds it difficult to let go uni-culturalism: Report
Bahun/Chhetri elites .... “Many are still most at home with majoritarian and highly centralised forms of governance and they find it difficult to leave behind the notion of the homogenous nation-state and the belief that ´national unity´ requires the assimilation of diversity,” the report says. “This is where their push back against the on-going restructuring process has been most openly expressed.” ...... The report titled “Forging Equal Citizenship in a Multicultural Nepal” which was completed in September last year still remains a ´draft´ due to the pressure from ´hill elites´. The UK Department of International Development (DfID) ..... report basically unravels how Bahuns and Chhetris have dominated in the state affairs creating a uni-cultural society and explains in detail the present status of five excluded groups - women, Dalit, Janajati, Madhesi and Muslim. ...... there has not been enough open discussion about what underlies the Madhesi and Janajati demand for federalism and why certain proposals for federal units based on various ´rational´ economic and geographic characteristics and organised north to south (much like the old development zones) are unacceptable to the Madhesis and Janajatis ........ “For these long-sidelined groups, federalism is about identity assertion and some degree of self-determination,” it is stated in the report. “It is a demand for a multicultural rather than a uni-cultural state.” .... two of the excluded groups - women and Dalits who have faced the deepest discrimination - just want the protection of their basic freedoms and the guarantee of equal human rights in the new state structure along with proportionate representation and affirmative action, the report highlights that for other groups like Madhesi, Janajati and Muslims, a constitution that guarantees substantive equality is not enough even as a starting point. ....... Janajatis, Madhesis and Muslims all want space to express and realize their own worldviews and values that differ from those of the long dominant Bahuns and Chhetris ...... “For Muslims - or at least some part of Nepal´s Muslim community, including many women - autonomy means primarily the right to follow Sharia personal law. ......... “For Janajatis and Madhesis “autonomy” refers to local self-rule or “self-determination” under a federal system. Both want to be able to use their own language in local schools and in the provincial/state level governments - and for Janajatis especially there is the idea that the institutions of local government should reflect their own traditional forms of governance and that they should have greater control over the use and protection of natural resources in their areas. ....... “The challenge for Nepal now is to find a way to accommodate the demands of those groups seeking some degree of self-determination and autonomy within the framework of an emerging multicultural Nepali state while also protecting the basic freedoms and human rights of all groups - including women, Dalits, as well as Muslims and smaller Janajati groups who will end up being “minorities within minorities” in provinces dominated by other groups.
Pressure from 'hill elites' halts DfID exclusion report
due to the pressure from the traditional ´hill elites´. .... The report titled "Forging Equal Citizenship in a Multicultural Nepal" was completed in September last year, but still remains a ´draft´ because of DFID´s ´self-censorship´ under pressure. ...... highlights how Bahuns and Chhetris continue to prevail on all aspects of state affairs and how difficult it is to develop a just and inclusive Nepali society. ....... delegation of various high-caste organizations put pressure on the donors not to interfere in Nepal´s affairs by promoting the cause of the marginalized communities. ...... The delegation of the Joint Struggle Committee for National Sovereignty and Ethnic Harmony, a front comprising 11 different organizations of Brahmin, Chhetri and Dashnami, met with head of DFID Nepal Dominic O´Neill in May this year and told the latter not to interfere in Nepal´s internal affairs by providing funds to various NGOs, thereby promoting the cause of indigenous Janajatis. ........ International organizations, from multilaterals like World Bank to bi-laterals like DFID, have been bullied by the Bahun-Chhetri interest groups to the extent that they are toying with the idea of shifting from the term ´excluded´ to ´poor and vulnerable´. “ ....... The report has highlighted the domination of elite-caste hill Hindu which made it difficult to move the country beyond ´uni-culturalism´ in the 1990 constitution due to the retention of the Hindu monarchy and Hinduism as the state religion, terming it as "half-hearted effort at accommodating Nepal´s diversity.“ ...... "Bahun, and Chhetri, males remained overwhelmingly dominant in all branches of elected and administrative government - either unaware of or failing to take seriously, the resentment of other groups"

Saturday, August 18, 2012

Wednesday, August 15, 2012

Nepal Needs A Prime Minister Like Nitish Kumar


Paramendra Kumar Batting For Nitish Kumar
Nitish Kumar: Prime Minister
Nitish Kumar, Bihar

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का दुरदर्शन एवं आकाशवाणी पर प्रसारित राज्य की जनता के नाम संदेश

प्रिय बिहारवासियों,

देश की स्वतंत्रता प्राप्ति की पैंसठवीं वर्षगांठ पर आप सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएॅं। सदियों की गुलामी के बाद आज ही के दिन हमारा देद्गा स्वतंत्र हुआ था। इसके लिए हमारे राष्ट्रभक्तों को अनेक कुर्बानियॉं देनी पड़ी। आज के दिन हम मातृभूमि के उन सपूतों का स्मरण करते हैं, उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लेते हैं।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार वासियों का भी अग्रणी योगदान रहा है। हम बिहारी राष्ट्रनिर्माण में भी बढ -चढ कर हिस्सा लेते रहे हैं और अपने लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करते रहे हैं। हमारी सरकार न्याय के साथ विकास के मार्ग पर चल रही है। राज्य की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए हम दृढ संकल्पित हैं।

आप सब के सहयोग से बिहार में आज साम्प्रदायिक सद्‌भाव और सामाजिक सौहार्द का माहौल है। सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता राज्य में कानून का राज स्थापित करना रही है। पिछले छः वर्षों में लगभग ७४ हजार अपराधियों को सजा मिली है। अपराध पर प्रभावकारी अंकुद्गा लगाने के उद्‌देद्गय से जमानत के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अपराधियों की पहचान की जा रही है और अब तक ऐसे २२२ मामलों में जमानत रद्‌द करने हेतु उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है। विधि व्यवस्था को दुरूस्त रखने एवं अनुसंधानों की गति और गुणवत्ता में वृद्धि लाने के दृष्टिकोण से पटना जिले के नगर क्षेत्र के पुलिस थानों में अनुसंधान इकाई एवं विधि व्यवस्था इकाई को अलग-अलग किया गया है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

राज्य में शांति-व्यवस्था की स्थिति को निरन्तर ठीक बनाये रखने के लिए पुलिस को आवच्च्यक संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इसके लिए नये थानों का निर्माण, पद सृजन, नियुक्ति, प्रशिक्षण एवं आधुनिकीकरण का कार्य तेजी से जारी है। अनुसंधान को वैज्ञानिक सम्बल प्रदान करने के लिए पटना स्थित विधि विज्ञान प्रयोगद्गााला को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है। घटना स्थल पर फोरेंसिक विद्गोषज्ञों की मदद पहुंचाने हेतु मोबाईल फोरेंसिक लेबोरेटरी की व्यवस्था की गयी है। राज्य के पुलिस-पब्लिक अनुपात को अखिल भारतीय स्तर पर पहुंचाने के लिए अगले पांच वर्षों में ४३ हजार से अधिक नये पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई की जायेगी।

राज्य में आर्थिक अपराधों की रोक-थाम के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वतंत्र आर्थिक अपराध इकाई का गठन किया गया है। साथ ही साइबर अपराध की घटनाओं की रोकथाम हेतु साइबर थाने का गठन किया गया है जो कम्प्यूटर एवं इंटरनेट से जुड़े अपराध कांड का अनुसंधान करेगा।

भ्रष्टाचार के अपराध के लिए सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। बिहार विद्गोष न्यायालय अधिनियम, २००९ के अंतर्गत गठित विद्गोष न्यायालयों के आदेद्गा पर ५ सरकारी सेवकों द्वारा अर्जित अवैध सम्पत्ति को जब्त किया जा चुका है। प्रदेद्गा में लोक सेवा का अधिकार कानून लागू है। इसके अंतर्गत अब तक लगभग दो करोड लोग विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा चुके हैं। वर्तमान में ५० लोक सेवायें इसके दायरे में हैं तथा पॉंच और सेवाओं को शामिल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जाति, आवासीय एवं आय प्रमाण पत्रों को उपलब्ध कराने की अवधि २१ दिनों से घटाकर १४ दिन की जा रही है। ई-द्गाक्ति परियोजना को राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के सभी वयस्क नागरिकों के लिए विस्तारित करने का निर्णय लिया गया है। पूर्व में ई-द्गाक्ति कार्ड एवं डाटावेस का उपयोग मनरेगा योजना तक ही सीमित था, किन्तु अब इस कार्ड का उपयोग राज्य सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं में भी किया जायेगा।

१२वीं पंचवर्षीय योजना के लिये लगभग २ लाख ७२ हजार करोड़ की योजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है। राज्य की आधारभूत संरचना के विकास एवं अन्य लाभकारी योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य योजना के लिये २८ हजार करोड रूपये के व्यय का लक्ष्य रखा गया है।

राज्य के समग्र विकास में मानव विकास की विद्गिाष्ट भूमिका है । प्रारम्भिक द्गिाक्षा के क्षेत्र में इस शैक्षिक सत्र से प्रारम्भिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों की कम से कम ८० प्रतिद्गात नियमित उपस्थिति का लक्ष्य रखा गया है। द्गिाक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने द्गिाक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया है। प्रारम्भिक द्गिाक्षा के विस्तार से माध्यमिक द्गिाक्षा की मांग बढ ी है। सरकार ने यह नीतिगत फैसला लिया है कि राज्य के हर ग्राम पंचायत में एक माध्यमिक विद्यालय की स्थापना की जाए। प्राथमिक एवं माध्यमिक द्गिाक्षा के क्षेत्र में पोद्गााक, साईकिल, एवं छात्रवृत्ति योजनाओं को अभूतपूर्व सफलता मिली है। इन कार्यक्रमों को निरंतर सुदृढ किया जा रहा है।

सात वर्ष पूर्व बिहार की स्थिति यह थी कि उच्च द्गिाक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर का एक भी द्गिाक्षण संस्थान यहॉ नहीं था। हमारे छात्र उच्च द्गिाक्षा के लिए राज्य के बाहर जाते थे। अब स्थिति बदल चुकी है। चाणक्य विधि विश्वविद्यालय, चन्द्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, निफ्ट, आई०आई०टी० पटना, आर्यभट्‌ट विद्गवविद्यालय, बिहार कृषि विद्गवविद्यालय, सबौर की स्थापना के साथ-साथ आई.जी.आई.एम.एस., पटना में मेडिकल की द्गिाक्षा प्रारम्भ की गयी है। सरकार राज्य में स्थापित चुनिन्दा महाविद्यालयों को सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स के रूप मे विकसित करना चाहती है जिसके लिए कार्य योजना को अन्तिम रूप दिया जा रहा है। राज्य के हर जिले में पॉलिटेकनिक एवं हर अनुमंडल में औद्योगिक प्रद्गिाक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है।

हमने स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। बिहार राज्य में जहॉ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में वर्ष २००६ में मात्र ३९ मरीज प्रतिमाह आते थे वहीं २०१२ में औसतन ९००० मरीज प्रतिमाह इलाज हेतु आ रहे हैं। नयी पीढ़ी स्वास्थ्य गारंटी कार्यक्रम में अब तक लगभग ढ ाई करोड बच्चों के स्वास्थ्य की जॉंच कर उन्हें स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया है। हमारे प्रयासों से राज्य में टीकाकरण एवं मृत्यु दर के आंकड े राष्ट्रीय औसत से बेहतर हो गये हैं। बाल मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर को राष्ट्रीय औसत से बेहतर बनाने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।

राज्य के नागरिकों के चहुमुखी विकास के साथ-साथ उन्हें गरिमापूर्ण जीवन स्तर उपलब्ध कराने के उद्‌देश्य से मानव विकास मिशन का गठन किया गया है। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य सुविधायें, गुणात्मक शिक्षा, स्वच्छ पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा, पोषण आदि से जुड े कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का अनुश्रवण किया जाएगा।

हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था मुखयतः कृषि पर आधारित है। गत चार वर्षों से क्रियान्वित हो रहे पहले कृषि रोड मैप की उपलब्धियों से उत्साहित होकर हमने अगले ५ वर्षों के लिए एक नया समग्र कृषि रोड मैप तैयार किया है। कृषि कैबिनेट का गठन किया गया है, जिसमें १८ विभाग सम्मिलित हैं। यह कृषि कैबिनेट कृषि रोड मैप से संबंधित कार्य-योजना हेतु दिच्चा-निर्देच्च देने के साथ-साथ उनकी प्रगति की भी समीक्षा कर रहा है ताकि प्रथम हरित क्रान्ति से अछूता बिहार, द्वितीय हरित क्रान्ति यानी इन्द्रधनुषी क्रान्ति की शुरूआत कर लाभ उठा सके। हमारा सपना है कि हर हिन्दुस्तानी की थाल में बिहार का कोई न कोई व्यंजन जरूर हो।

अगले पांच वर्षों में कृषि रोड मैप के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए डेढ़ लाख करोड रूपये खर्च करने की योजना है। कृषि रोड मैप पर आधारित योजनाओं का द्राुभारम्भ करने के लिए हमने महामहिम राष्ट्रपति जी को बिहार आने का निमंत्रण दिया है।

राज्य सरकार के प्रयास एवं राज्य के किसानों की मेहनत से पहली बार राज्य में धान और गेहॅूं की उत्पादकता देद्गा के औसत से ऊपर गयी है। वर्ष २०११-१२ में राज्य में लगभग १७० लाख मेट्रिक टन खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन हुआ है। उत्पादन बढ ाने के साथ-साथ हम किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में २२ लाख ८७ हजार मेट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गयी है। पैक्स में गोदाम निर्माण तथा बायोमास, गैसीफायर के साथ चावल मिलें स्थापित की जा रही हैं। इससे प्राथमिक कृषि साख सहयोग समितियाँ अर्थक्षम हो सकेगी एवं अधिप्राप्ति में भी मदद मिलेगी।

इस साल वर्षा की अनिद्गिचतता के कारण हम बाढ एवं सुखाड दोनों की मार झेल रहे हैं। राज्य के १४ जिलों में कम वर्षा की स्थिति के मद्‌देनजर सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये हैं। खरीफ फसलों की सिंचाई हेतु डीजल अनुदान के लिए ६१९ करोड रूपये की राद्गिा स्वीकृत की गई है। जिला पदाधिकारी इसका वितरण सुनिद्गिचत करा रहे हैं। हमने राज्य विद्युत बोर्ड को ग्रामीण क्षेत्रों में ६ से ८ घंटे बिजली आपूर्ति करने का निदेद्गा दिया गया है। जल संसाधन विभाग विभिन्न नहर प्रणालियों में अंतिम छोर तक पानी पहॅुंचाने की कार्रवाई कर रहा है ताकि किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें। इस व्यवस्था का सघन पर्यवेक्षण विकास आयुक्त एवं मुखय सचिव के स्तर पर किया जा रहा है। हमने मंत्रिपरिषद की बैठक में भी इसकी समीक्षा प्रारम्भ कर दी है।

हमारी सरकार ने राज्य के सुदूर इलाकों को राजधानी पटना से जोड़ने एवं अधिकतम छः घंटे में इस दूरी को तय करने का लक्ष्य रखा था। किद्गानगंज जिला को छोड कर राज्य के सभी जिलों से राजधानी पटना की दूरी अधिकतम ६ घंटों के अंदर तय किया जाना संभव हो गया है। इस लक्ष्य को पूर्ण करने के क्रम में पिछले ६ वर्षों में लगभग तेरह हजार किलो मीटर राष्ट्रीय एवं राज्य उच्च पथ तथा वृहद जिला पथों का उन्नयन किया गया है। राज्य में पहली बार जन-निजी भागीदारी के अंतर्गत बखितयारपुर से ताजपुर के बीच गंगा नदी पर पुल एवं आरा-मोहनियॉं पथ का फोर लेनिंग का कार्य चल रहा है। रजौली-बखितयारपुर पथ का फोर लेनिंग एवं दीघा से दीदारगंज साढ े बीस किलोमीटर लंबे गंगा पथ का निर्माण जन-निजी भागीदारी के आधार पर कराने का निर्णय लिया गया है।

राज्य के गांवों की समृद्धि एवं विकास के लिए राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत कोटि की बारहमासी सड कों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इस उद्‌देद्गय की प्राप्ति के लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में ३० हजार किलोमीटर से ज्यादा सड कों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। राज्य के २५० से अधिक आबादी वाले अनजुड े सभी बसावटों को बारहमासी सड कों से जोड ने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए राज्य कोर नेटवर्क तैयार करने का कार्य अंतिम चरण में है।

हमारे प्रयासों से राज्य में उद्योगों के विकास का वातावरण बना है। औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के तहत औद्योगिक इकाइयों को अब तक विभिन्न मदों में लगभग ४१२ करोड रूपये का लाभ दिया जा चुका है। गत पांच वर्षों में राज्य निवेद्गा प्रोत्साहन पर्षद्‌ द्वारा दी गई सहमति के विरूद्ध १४३ औद्योगिक इकाइयों का कार्य अग्रिम चरण में है एवं ८९ इकाइयॉ उत्पादन में आ गई हैं। इसके अन्तर्गत मुखयतः ५४ इकाई कृषि प्रसंस्करण, १० इकाई सेकेंड्री स्टील एवं सीमेंट, ८ चीनी मिल एवं १७ अन्य प्रयोजनों से संबंधित हैं। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हेतु अब तक पांच हजार करोड रूपये का पूॅजी निवेद्गा हुआ है।

हस्तकरघा के क्षेत्र में कार्यरत बुनकरों के समग्र विकास के लिए १२वीं पंचवर्षीय योजना में १५० करोड़ रूपये के अनुमानित व्यय पर मुखयमंत्री समेकित हस्तकरघा विकास योजना स्वीकृत की गयी है। तसर क्षेत्र के विकास के लिए बांका, मुंगेर, नवादा एवं कैमूर जिलों के लिए मुखयमंत्री तसर विकास परियोजना स्वीकृत की गयी है। कोद्गाी क्षेत्र में मलबरी रेद्गाम विकास के लिए भी परियोजना बनायी जा रही है।

बिजली के उत्पादन, संचरण, उपसंचरण एवं वितरण प्रणाली के सुदृढ ीकरण के लिए विशेष कदम उठाये गये हैं। बरौनी तथा कांटी थर्मल पावर स्टेद्गान के ११० मेगावाट पावर के चारों यूनिटों का नवीनीकरण इस वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जायेगा। राज्य सरकार ने नये विद्युत इकाइयों की स्थापना के अतिरिक्त लम्बी अवधि के लिये लगभग १००० मेगावाट विद्युत की खरीदगी के लिये एकरारनामा किया है। संचरण प्रणाली को सुदृढ करने के लिए पॉंच शहरों में ग्रीड सबस्टेशन का निर्माण होगा। पिछड ा क्षेत्र अनुदान निधि के अंतर्गत उपसंचरण प्रणाली के सुदृढ ीकरण का कार्य मार्च २०१३ तक पूरा करने का लक्ष्य है। उपसंचरण के क्षेत्र में सात नए ग्रीड उपकेन्द्रों का निर्माण किया जा रहा है। पुनर्गठित, त्वरित, बिजली विकास एवं सुधार कार्यक्रम ;(Restructured Accelerated Power Development and Reforms Programme) के तहत ६४ शहरों एवं एशियाई विकास बैंक से ऋण लेकर ७ शहरों में वितरण नेटवर्क का सुदृढ ीकरण कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ५५ विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण, ७२००० किलोमीटर जर्जर तारों एवं खराब ट्रांसफार्मरों को बदलने के साथ मीटरीकरण पर राज्य कोष से ८५३ करोड रूपये खर्च किये जा रहे हैं। कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिये डेडिकेटेड फीडर बनाया जाएगा।

सकारात्मक सामाजिक बदलाव हेतु महिलाओं सहित वंचित वर्गों का उत्थान कर उन्हें मुखय धारा से जोड ने के लिए हम कृत संकल्प है। नारी सद्गाक्तिकरण हमारे विकास की रणनीति का महत्वपूर्ण अंग है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की आमदनी बढ ाने के लिये जीविका परियोजना को राज्य के सभी जिलों में विस्तारित कर महिलाओं के १० लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन करने का निर्णय लिया गया है। पंचायती राज व्यवस्था एवं नगर निकायों में महिलाओं के लिए ५० प्रतिद्गात आरक्षण के काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

राज्य में पचास लाख से अधिक वृद्ध, निःद्गाक्त व्यक्तियों तथा विधवाओं को पेंद्गान दिया जा रहा है। विधवाओं एवं निःद्गाक्त व्यक्तियों के लिए पेंद्गान की राद्गिा बढ़ा कर दो सौ से तीन सौ रूपये प्रतिमाह कर दी गयी है। राज्य में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कानून लागू किया गया है, जिसमें उनके आश्रितों द्वारा प्रतिमाह अधिकतम दस हजार रूपये भरण-पोषण राद्गिा के रूप में दिये जाने का आदेद्गा दिया जा सकता है।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अब सभी स्कूली छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जा रही है एवं इसकी राद्गिा बढ ाकर तीन गुणा कर दी गयी है। इसी प्रकार अत्यंत पिछड ा वर्ग के सभी स्कूली छात्र-छात्राओं को बढ ी हुई संद्गाोधित दर पर छात्रवृत्ति दी जा रही है। छुटे हुए वासरहित महादलित परिवारों का पुनः सर्वेक्षण कराया जा रहा है और सर्वेक्षण के उपरांत उन्हें आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जायेगी। महादलित बस्तियों के टोला सेवकों को अब महादलित अक्षर आंचल योजना से जोड कर इन बस्तियों के बच्चों को विद्यालय में बनाए रखने के साथ महादलित महिलाओं के बीच साक्षरता बढ ाने के कार्यक्रम भी इस वर्ष संचालित होंगे। इसी तर्ज पर तालिमी मरकज के अनुदेद्गाकों को अल्पसंखयक महिला साक्षरता के कार्यक्रम से जोड ा जाएगा।

साम्प्रदायिक सौहार्द कायम करने की कड ी में कब्रिस्तान की घेराबंदी की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत अब तक लगभग ३५०० सौ कब्रिस्तानों की घेराबंदी की जा चुकी है। अल्पसंखयको के कल्याण के लिए मुखय मंत्री अल्पसंखयक द्गिाक्षा ऋण योजना तथा मुखय मंत्री अल्पसंखयक रोजगार ऋण योजना की स्वीकृति दी गयी है।

असंगठित क्षेत्र में कार्यरत कामगारों एवं द्गिाल्पकारों के लिये मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रितों को एक लाख रूपये अनुदान देने के लिये बिहार शताब्दी असंगठित कार्य क्षेत्र कामगार एवं द्गिाल्पकार सामाजिक सुरक्षा योजना प्रारंभ की गयी है। राज्य में दुर्घटना तथा आपराधिक घटनाओं में मरने वाले सभी व्यक्तियों के लिए बीस हजार का मुआवजा राद्गिा देने हेतु मुखय मंत्री परिवार लाभ योजना प्रारम्भ की गयी है।

बिहार की सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक धरोहरों को प्रदद्गर्िात करने हेतु पटना में अंतर्राष्ट्रीय मानक के बिहार संग्रहालय की स्थापना की जा रही है। बौद्ध सर्किट के विकास के लिए वैद्गााली में बौद्ध स्तूप, पटना में बुद्ध स्मृति पार्क में संग्रहालय एवं नालन्दा जिला के घोड़ा-कटोरा में भगवान बुद्ध की प्रतिमा की स्थापना का निर्णय लिया गया है। बिहार के पुरातात्विक स्थलों के विकास एवं अन्वेषण हेतु बिहार विरासत विकास समिति का गठन किया गया है। इस संस्था के माध्यम से राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों के उत्खनन का कार्य किया जायेगा।

राज्य के विकास के साथ पर्यावरण सुरक्षा के माध्यम से हम आने वाली पीढ ी को हरित एवं खुद्गाहाल बिहार देने के लिए प्रयासरत हैं। अगले पॉंच वर्षों में बिहार के वृक्ष आवरण को वर्तमान स्तर से बढ ाकर १५ प्रतिद्गात करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए हरियाली मिद्गान की स्थापना की गयी है। अगले पांच वर्षों में विभिन्न वृक्ष रोपण कार्यक्रमों के अन्तर्गत राज्य में कुल २४ करोड पेड लगाये जायेंगे। लगाये गये वृक्षों की सुरक्षा में जन सहभागिता बढ ाने हेतु वृक्ष-संरक्षण योजना भी प्रारंभ की जा रही है।

हमारी सरकार एवं राज्य की जनता के परिश्रम का ही यह परिणाम है कि हमारे विकास की दर गत वित्तीय वर्ष में १६.७ प्रतिद्गात रही है। यदि हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो भी हमें विकास का औसत राष्ट्रीय स्तर प्राप्त करने में २५ वर्ष लगेंगे। बिहार की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। हम मानव विकास के विभिन्न सूचकांक में पीछे हैं। हमारा जनसंखया घनत्व अधिक है और हमारे राज्य में कृषि एवं औद्योगिक विकास की असीम संभावनाएॅं हैं। इसीलिए हमें विद्गोष सहायता मिलनी चाहिए। इसी कारण से हम विद्गोष राज्य का दर्जा की मांग लगातार कर रहे हैं ताकि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रांद्गा बढ सके और राज्य में निवेद्गाकों को विभिन्न करों में रियायतें और छूट मिल सके। इससे राज्य में बड ी मात्रा में पूॅंजी निवेद्गा हो सकेगा और युवाओं के लिए बड े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हो सकेंगे।

समाज के नव-निर्माण के लिए सभी तबकों, संप्रदायों एवं सामाजिक समूहों के लोगों से और खास कर नई पीढ ी एवं महिलाओं से हमें ज्यादा उम्मीद है। सभी को आगे बढ कर रचनात्मक कार्यों में अपना योगदान देना होगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हमारे पुरखों द्वारा दी गई कुर्बानियॉं हमारे ऊपर कर्ज है और ये कर्ज तभी उतरेगा जब हम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से राष्ट्र निर्माण के पुनीत कार्य में हाथ बटाएॅंगे। आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आप सबों का आह्‌वान करता हूॅं कि राज्य के नवनिर्माण में आप सभी अपना पूरा योगदान करें ताकि बिहार शीघ्र ही देद्गा के विकसित राज्यों की श्रेणी में आ जाए।

स्वतंत्रता दिवस के इस पुनीत अवसर पर पुनः एक बार आप सबों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएॅं देता हूॅं।

जय हिन्द
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