Thursday, December 17, 2015

विवाह पंचमी और वानर सेना

मैं हनुमान की बात नहीं कर रहा। हनुमान पुजनीय हैं। लेकिन वानर सेना को देखो। उस वक्त भी उन्हें पता नहीं चला कि क्या हो रहा है? अगर टापु पर राम होते, इधर रावण, और रावण किसी तरह इन्हे अपने पक्ष में कर सकते तो ये तैयार हो जाते, कहते चलो चढ़ाई करते हैं।

राम ही इधर हैं और कहते सीता तो मेरे साथ ही है लेकिन रावण के सोने के लंका को जलाने का दिल कर रहा है, चलोगे? तो ये तैयार।

इधर रावण होते कहते टापु पर राम और सीता हैं, सीताको अपहरण करना है, चलोगे? तो ये कहते अपहरण का आप जानो लेकिन मारधाड़ का सीन है तो बोलो।

अगर इन्हे उस समय पता होता कि राम और सीता का मिलन करना है, तो वो अभी आके विवाह पंचमी पर्व तहसनहस कर के क्यों चले जाते? सोंचने वाली बात है। यानि कि सीता का लिबरेशन सिर्फ राम का एजेंडा था। वानर सेना सिर्फ एक्शन के लिए गए।

आप को क्या लगता है ब्रिटिश ने इन्हे colonization के बारे में कोचिंग दी? कि ऐसे ऐसे बात है? नहीं। अगर दी तो ब्रिटिश के बाद भारतीय ने Anti-Colonization की कोचिंग दी? नहीं तो।

और ये भी नहीं कि ब्रिटिश ने हात में AK-47 पकड़ा दिया। जो हथियार पजाबी के पास, जो मराठी के पास वो इनके पास। संख्या उनसे कहीं कम।

Folkland War का क्रेडिट मार्गरेट थैचर को दे देते हैं देनेवाले। थैचर का उसमें रत्ति भर योगदान नहीं है। सिवाय वार घोषणा करने के।

विद्याको जनकपुर विवाह पंचमी भाँडभैलो

पराक्रम की बात नहीं है instinct की बात है। Thought versus Instinct में instinct की जीत हो जाती है।

वानर आपको छिछोड़ के भाग जाता है। तो उससे पहले आप को दिखाई भी नहीं देता कि वहां डाल पर बैठा है हमें सतर्क हो जना चाहिए। किधर से आया पता ही नहीं चलता। छिछोड़ ने के बाद डाल पे कब जा के ऐसे बैठ जाता है, इतनी जल्दी में कि वो आपको चैलेंज करने लगता है। तु मेरी और क्यों देख रहा है। कोई गलत इल्जाम मत लगाना वार्ना मुँह घींच लुँगा। तो आप क्या करते हैं, you cut your losses and you move. बल्कि आप चेक करते हैं कि मेरे पास ऐसा क्या है जो मैं दे सकूँ। जबकि उसने कुछ माँगा भी नहीं। हात में लड्डु है कि पेड़ा है आप ड्राप कर देते हो। जान बची लाखो पाए।

Thought versus Instinct में instinct की जीत हो जाती है।


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