Friday, July 01, 2016

बार असोसिएशन को मध्यस्थता ले निकास दिन्छ

गठबन्धन र सरकारबीचको वार्ताको मध्यस्थता बार एशोसिएसनले गर्ने

बार असोसिएशन को मध्यस्थता ले निकास दिन्छ

सत्ता पक्ष एउटा पक्ष। आन्दोलनरत मधेसी जनजाति अर्को पक्ष। कुनै पनि विदेशी समुह लाई पर्याप्त जानकारी हुँदैन। नेपाल बार असोसिएशन लाई त्यो समस्या छैन।

सिविल सोसायटी ले 2006 अप्रिल का लागि ठुलो रोल खेल्यो तर त्यस पछि गायब भयो। फेरि रोल खेले देश ले निकास पाउछ।

तर दुई पक्ष सन्ग वार्ता गरेर एउटा वक्तव्य निकाल्ने ध्याउन्न हो भने निकास निस्कदैन। दुबै पक्ष ले पहिला म्यान्डेट दिनुपर्यो।

कम्प्रोमाइज हुन सक्छ। तर कर्मचारी बाहुन, पार्टी बाहुन, भोटर बाहुन वाला जुन त्रिकोण छ त्यसले अहिले सम्म समानता को भाषा बोल्न चाहेकै छैन।

बाहुनवाद भनेको परमेश्वर र आम जनता बीच खड़ा रहेको शैतान हरू को जमात हो। ओली रावण पुत्र हो। यो त राक्षस हो।

Thursday, June 30, 2016

सम्विधान सन्सोधन बिना चुनाव सम्भव छैन

तीन तीन वटा मधेसी क्रांति का डेढ सय शहीद र दशो हजार घायल मधेसी क्रांतिकारी को अपमान मधेस ले हुन दिदैन।

अहिले को अवस्था मा चुनाव सम्भव छैन।

मधेसी जनजाति आन्दोलन लाई सम्मानजनक सम्बोधन गर अनि चुनाव गर।

ग्यानेन्द्र स्टाइल मा बलधकेल चुनाव गराउन चाहिरहेको ओली 2006 अप्रिल क्रांति मा घाम तापेर बसेको थियो । उ सहभागी थिएन। बाहुन ले च्याउ खाओस न स्वाद पाओस।

बाहुन ले नेपाल मा राजनीति गर्ने समय धेरै बान्की रहेन अब।

 

Saturday, June 25, 2016

दलित से माफी मांगने वाली बात

कुछ मधेसी जागरूक लोगो ने दलितों से माफी मांगने का अभियान चलाया है। सराहनीय बात है। लेकिन क्या यह समस्या का समाधान है?

जातपात पहाड़ में भी है। बाहुनवाद का साप सारे देश के राजनीति को जकेडे हुए है। सबसे बडे तीन पार्टी, देशका पुरा ब्यूरोक्रेसी सब उस साप के सिकनजे में है।

शोसन करने का जिनके पास ताकत ही नहीं, जो खुद अपने आधारभूत अधिकार के लिए लड़ रहे हैं वैसे लोग माफी मांग रहे हैं। ये उनकी महानता है।

जातपात का जो प्रथा है उसके भीतर समानता सम्भव है ही नहीं। तो उस जातपात को जड़ से उखाड़ फेंकने का रास्ता क्या है? इस बात पर विचार विमर्श किया जाए।