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Friday, December 27, 2019

सपा राजपा एकीकरण: पहले आप, पहले आप











सपा र राजपा का लागि एकीकरण बाध्यात्मक छ
ये तो होना ही था
जनमत पार्टीका संभावना हरु
संविधान संसोधनको संभावना पटक्कै छैन
उपनिर्वाचनको पाठ: सीके राउत ले अर्को फड्को मार्नु पर्छ
सपा, राजपा र जपा को एकीकरण को जरुरत सबैभन्दा बढ़ी जपा लाई छ
बाबुराम भट्टराई को शिशा गिलास
सपा, राजपा र जपा को एकीकरण तत्काल गर्नुपर्छ
के नेपाल लाई अर्को संविधान सभा को आवश्यकता छ?
पार्टी एकीकरण का समय, समयतालिका, अंकगणित, और केमिस्ट्री
सपा, राजपा, जपा र त्रिपा को एकीकरण

Friday, July 19, 2019

पार्टी एकीकरण का समय, समयतालिका, अंकगणित, और केमिस्ट्री

Federalism: Unfinished Business In Nepal
सपा, राजपा, जपा र त्रिपा को एकीकरण
समाजवादी पार्टी ले १० प्रदेशको कुरा उठाएर देशमा तेस्रो ध्रुवको निर्माण गर्न सक्छ



पार्टी एकीकरण का समय

नेपालमें सच्चा संघीयता लागु करने से पहले आर्थिक क्रांति संभव ही नहीं है। या तो आप इस बातको मानते हैं या नहीं। मैं कसके मानता हुँ। आर्थिक क्रांति का परिभाषा हुवा लगातार २०-३० साल तक नेपालमें आर्थिक वृद्धिका दर दो अंको का होना। डबल डिजिट ग्रोथ जिसे कहते हैं अंग्रेजी में। तो नेपालमें आर्थिक क्रांति अभी चाहिए कि ५० साल बाद आने से भी काम चलेगा? अभी नहीं ३०-४० साल पहले होना था। बहुत समय जाया गया। तो आर्थिक क्रांति की जल्दबाजी अगर है देशको तो देशको सच्चा संघीयता देना होगा। जिस तरह पंचायती व्यवस्था और राजतन्त्र लोकतंत्र के विरोधी शक्ति थे उसी तरह कांग्रेस और कम्युनिस्ट सच्चा संघीयता विरोधी शक्ति हैं। उनके विरुद्ध सिर्फ मोर्चाबंदी करने से काम नहीं चलेगा। एक तीसरी पार्टी की निर्माण करनी होगी। जनतासे आन्दोलन कर उनसे अंतिम बलिदान मांगने वाले नेता लोगो को समझना होगा कि जनता अंतिम बलिदान देती है तो नेता लोगो को कमसेकम चाहिए कि वो अपना गृह कार्य करे। आजके सन्दर्भमें वो गृह कार्य पार्टी एकीकरण और संगठन निर्माण एवं विस्तार ही है। आप कितना भी आंदोलन कर लिजिए लेकिन संसद में अंक गणित नहीं जुटा पाते हैं तो आपकी जो एजेंडा है वो पिछे पड़ी रहेगी। यानि कि अगला स्थानीय, प्रादेशिक और संसदीय चुनाव को डेडलाइन मानके चलना होगा। चुनाव से कमसेकम एक साल पहले पार्टी एकीकरण का काम ख़त्म हो जाना चाहिए। चुनावमें बुरी तरह हार जाने के दो महिना बाद पार्टी एकीकरण करना न करना बराबर होगा। सिर्फ मधेसी को नहीं जोड़िए संविधान संसोधन से। अंक गणित फिका पड़ जाता है। सिर्फ जनजाति को नहीं जोड़िए। अंक गणित दो तिहाई पहुँच जाती है लेकिन राजनीतिक चेतना उस कदर नहीं है अभी तक। संविधान संसोधन को सच्चा संघीयता से जोड़िए और सच्चा संघीयता को आर्थिक क्रांति से ताकि शत प्रतिशत नेपाली जनता को टारगेट किया जा सके। आर्थिक क्रांति तो सभी को चाहिए। बाहुन क्षेत्री को भी चाहिए। सरकारी जागीर करने वाले बाहुन क्षेत्री सिर्फ कुछ लाख होंगे। बाँकी में अधिकांश तो गरीब ही तो हैं। सरकारी जागीर करने वाले बहुसंख्यक भी गरीब हैं। सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाना बहुत जरुरी है। लेकिन उससे मुख्य रूपसे दमजम को सम्बोधित किया जा सकता है।

पार्टी एकीकरण का समयतालिका

कुछ साल के प्रयास के बाद उपेन्द्र यादव और बाबुराम तो मिल गए। मोर्चा नहीं बनाया। पार्टी एकीकरण की। मोर्चा बनाने की बात बेतुक बात है। मुद्दा कठिन हो तो मोर्चाबंदी से काम नहीं चलेगा। फोरम और नया शक्ति एक हो गए। अब अगला कदम है सपा और राजपा एक हो जायें। नया शक्ति का फोरम में एक हो जाने से अंक गणित में बहुत फर्क नहीं हुवा है। पहले जो ५०-५० था उसमें थोड़ा १९/२० हुवा है। सपा और राजपा एक होने के बाद शायद तीसरा नम्बर आता है सीके राउतका। अकेले वो चुनाव लड़ेंगे तो जाने नजाने केपी ओली द्वारा प्रयोग हो जाएंगे। सपा और राजपा का भोट काटेंगे, खुद मधेसमें ५% या उससे कम पर अटक जाएंगे। सपा और राजपा का भोट काट कर मधेसमें कांग्रेस कम्युनिस्ट के जीतका मार्ग प्रशस्त करेंगे। वो नहीं होने देना है। मुद्दा जब हुबहु मिलता हो तो अलग पार्टी चलाने का मतलब क्या? अन्त में शायद हृदयेश त्रिपाठी आ सकेंगे। १०-१२ महिने में जब प्रचंड प्रधान मंत्री बनेंगे तो हृदयेश त्रिपाठी का उस मंत्री मंडल में आने की संभावना है। मंत्री बनना बड़ी बात नहीं। वो जरुरी चीज नहीं है। लेकिन ओली से अलग चल कर अगर प्रचंड संविधान संसोधन का मुद्दा आगे बढ़ाते हैं जैसा कि सोंचा जा रहा है तो हृदयेश के उस प्रयोग के लिए भी थोड़ा समय दे दिया जाए। उपेन्द्र यादव भी तो उसी आशा में मंत्रीमंडल में बैठे हुवे हैं। पुर्व माओवादी वाले भले संविधान संसोधन की बात करे पुर्व एमाले वाले जो कि बहुमत में हैं वो रोड़ा अड़कायेंगे ऐसा अनुमान किया जाता है। तो प्रयोग असफल होने के बाद हृदयेश त्रिपाठी या तो नया झंडा ढूढ़ेंगे या तो फिर उनकी राजनीति समाप्त हो जाएगी। छोटेमोटे कई जनजाति पार्टियां हैं। उन्हें भी मुद्दा के आधार पर एक एक कर के एकीकरण करते हुवे आगे बढ़ना होगा।

पार्टी एकीकरण का अंकगणित

फोरम और राजपा ५०-५० पर थे। अब नया शक्ति से मिलने के बाद शायद सपा को थोड़ा और बड़ा मानना होगा। अब शायद ५५-४५ पर बात हो। पार्टी एकीकरण की बात शुरू होते तक सीके राउत के जनमत पार्टी की सदस्य संख्या कितनी पहुँचती है। वो देखना होगा। अगर पार्टी सदस्य संख्या एक लाख से उपर ले जाते हैं तो सपा प्लस राजपा को २/३ और जनमत पार्टी को एक तिहाई मान कर एकीकरण किया जा सकेगा। सीके राउत को पार्टी में प्रथम पाँच में एक पद देना होगा। हृदयेश त्रिपाठी को तो कपिलवस्तु या रुपन्देही या परसा महोत्तरी कहीं एक सीट देना होगा। उनके कुछ साथीयों को पश्चिम तराई में टिकट। हृदयेश संसदीय मनस्थिति ले के चलते हैं। हृदयेश को पार्टी भितर पद अंक गणित नहीं केमिस्ट्री और हिस्ट्री के आधार पर दिया जाना जरुरी है। एक सम्मानजनक पद।

चुनाव से एक साल पहले पार्टी एकीकरण का काम ख़त्म कर लेने के बाद एक नजर कांग्रेस पार्टी पर भी डालने की जरुरत पड़ सकती है। लेकिन पहले मुद्दा की बात होगी। संविधान संसोधन के मुद्दे पर कांग्रेस एक ज्वॉइंट मेनिफेस्टो पर अगर तैयार हो जाती है तो उसको मधेसमें २५% और पहाड़में ५०% सीट देकर एक मोर्चा बनाया जा सकता है। लगभग दो तिहाई पर रही नेकपा को फेकना है तो उतना करना पड़ सकता है।

पार्टी एकीकरण की केमिस्ट्री 

केमिस्ट्री में प्रथम बात तो मुद्दा ही है। मुद्दा स्पष्ट है। लेकिन विभिन्न नेताओं के पर्सनालिटी की भी बात आ जाती है। पार्टीका अध्यक्ष कौन बने? ये केमिस्ट्री की बात नहीं है। ये अंक गणित की बात है। लेकिन इसको केमिस्ट्री की बात बना कर अभी तक पार्टी एकीकरण को न होने देने का काम किया गया है। उपेन्द्र यादव को लगता है मुझे पार्टी अध्यक्ष मानिए दो मिनट में पार्टी एकीकरण हो जाएगा। राजेन्द्र महतो को लगता है उपेन्द्रजी अध्यक्ष मंडल में एक सीट आप भी ले लिजिए। ऐसे में मुद्दा गौण हो जाता है। जो ओली संविधान संसोधन का विरोध कर के ही चुनाव जिता है उसी ओली को अनुनय विनय करने पहुँच जाते हैं कि संविधान संसोधन करो।

आपको पार्टी अध्यक्ष बनना है तो व्यापक संगठन विस्तार करिए ताकि ज्यादा से ज्यादा महाधिवेशन प्रतिनिधि आपको मत दें। और उस अंक गणित के आधार पर बनिए पार्टी अध्यक्ष। लेकिन पार्टी अध्यक्षता सिर्फ अंक गणित की बात नहीं है। पार्टी के अंदर एक ऐसी राजनीतिक संस्कृति होनी चाहिए की नेतृत्व परामर्श खोजने वाली हो अर्थात कंसल्टेटिव (consultative) . निर्णय करिए व्यापक छलफल के बाद। पार्टी  पदाधिकारी, पोलिटब्युरो सदस्य, केन्द्रीय समिति को लगे कि सभी बड़े छोटे निर्णय में ज्यादा से ज्यादा सहभागिता रहती है।

अंक गणित के आधार पर भले ही पार्टी अध्यक्ष उपेन्द्र यादव हो जाएँ लेकिन पार्टी नेतृत्व का स्टाइल राजपा के अध्यक्ष मंडल टाइप का ही होना होगा। व्यापक विचार विमर्श के आधार पर निर्णय की संस्कृति अपनानी होगी। इसके लिए पार्टी के शत प्रतिशत केन्द्रीय सदस्य और पदाधिकारी निर्वाचित होने की व्यवस्था की जा सकती है। पार्टी के भितर भी तो आरक्षण चलेगी। जहाँ दलित पदाधिकारी चाहिए वहाँ सिर्फ दलित उम्मेदवारी की नियम बनाई जा सकती है।

एकीकृत पार्टीका अंतिम नाम जनता पार्टी या नेपाल जनता पार्टी कर सकते हैं।

मुद्दा के प्रति वफ़ादारी

सामाजिक न्याय की बात करने वाले पार्टी और नेतागण वास्तव में मुद्दा के प्रति वफादार हैं तो पार्टी एकीकरण के महत्व को समझेंगे और अगली चुनाव के लिए उसे अपरिहार्य मानेंगे। जनता से मैंडेट लाइए और खुद संविधान संसोधन करिए।

एकीकृत पार्टी ले काठमाण्डु उपत्यका को १० को १० सीट ताकन सक्छ। राजेन्द्र श्रेष्ठ कीर्तिपुर बाट सांसद बन्छन।

Wednesday, August 19, 2015

संविधान, कानुन, समझौता नमान्ने अवैध सरकार राजीनामा दे

संविधान, कानुन, समझौता नमान्ने अवैध सरकार राजीनामा दे। वार्ता का लागि ठाउँ रहेन। राजीनामा दे। राजीनामा दे।



Rajendra Shrestha

सङ्घीय गठबन्धनकोे अवधारणा–पत्र

१. प्रस्तावना

नेपाललाई सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक राज्य बनाउने उद्देश्यले नेपाली जनताले विभिन्न कालखण्डमा गर्दै आएको जन आन्दोलन, जनक्रान्ति, मधेश जन विद्रोह, लिम्बुवान, किरात/खम्बुवान, ताम्सालीङ/तामाङ सालिङ, नेवाः, शेर्पा, तमुवान, मगरात, थरुहट लगायत आदिवासी जनजाति, खस, शिल्पी/दलित, मुस्लिम समुदायहरूले गरेका आन्दोलन एवम् सङ्घर्षको उद्देश्य, मर्म, भावना र जनादेशलाई आत्मसात गर्दै,

राष्ट्रिय स्वाधिनता, समानता, स्वतन्त्रता, शान्ति र अग्रगमनको पक्षमा इतिहासको विभिन्न कालखण्डमा जीवन उत्सर्ग गर्ने वीर सहिदहरूलाई स्मरण गर्दै,

१२ बुँदे समझदारी, अन्तरिम संविधान, विस्तृत शान्ति सम्झौता तथा मधेसी, आदिवासी जनजाति लगायत अन्य आन्दोलनकारी पक्षहरूसँग विगतमा भएका विभिन्न सम्झौता र सहमतिहरूको कार्यान्वयनमा जोड दिँदै,

नेपाल बहुजातीय/बहुराष्ट्रिय, बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक र बहुधार्मिक मुलुक भएको तथ्यलाई आत्मसात गरी देशमा विद्यमान् वर्गीय, जातीय, क्षेत्रीय र लिङ्गीय लगायत सबै प्रकारका विभेद, असमानता, शोषण, उत्पीडन र द्वन्द्वको अन्त्य गर्न राज्यको अग्रगामी पुनर्संरचना गर्ने सङ्कल्प गर्दै,

देशको सार्वभौम सत्ता, राष्ट्रिय स्वाधीनता, भूअखण्डता र राष्ट्रिय एकतालाई बलियो बनाउन नेपाल राज्यको संरचनामा सबै जाति/समुदायको स्वामित्वबोध होस् भन्नाका लागि पहिचान सहितको सङ्घीयता र राज्यको सबै अङ्गमा सामानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्व हुनु पर्छ भन्ने तथ्यलाई स्थापना गर्दै,

सङ्घमा साझा शासन र प्रदेशहरूमा स्वशासनको सैद्धान्तिक मान्यतामा आधारित सङ्घीय शासन, जनताको सार्वभौमिकता, जातीय/राष्ट्रिय पहिचानको मान्यता, वहुदलीय प्रतिस्पर्धा, आवधिक निर्वाचन, समानुपातिक निर्वाचन प्रणाली, संवैधानिक तथा कानुनी राज्य, मौलिक एवम् मानव अधिकार, शक्ति पृथकीकरण, स्वतन्त्र न्यायपालिका, प्रेस स्वतन्त्रता, समावेशी लोकतन्त्र, धर्म निरपेक्षता, आत्मनिर्णयको अधिकार, लोक कल्याणकारी राज्य, समाजवाद उन्मुख राज्य व्यवस्था, स्वाधीन राष्ट्रिय अर्थतन्त्र, सामाजिक न्याय जस्ता मूल्य र मान्यताहरूलाई दृढतापूर्वक कार्यान्वयन गर्ने प्रतिबद्धता व्यक्त गर्दै,

उत्पीडित आदिवासी जनजाति, मधेसी, खस, शिल्पी/दलित, मुस्लिम, महिला, अल्पसङ्ख्यक, सिमान्तकृत समुदाय तथा पिछडा वर्गको प्रतिनिधित्व गर्न सक्ने एउटा अग्रगामी क्रान्तिकारी गठबन्धनको आवश्यकता भएकाले संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेसी मोर्चा र पहिचानमा आधारित सङ्घीय गठबन्धनमा रहेका हामी निम्न दलहरू यो “सङ्घीय गठबन्धन” निर्माण गर्न सहमत भएका छौं ।

२. गठबन्धनको उद्देश्य

यस गठबन्धनको मुख्य उद्देश्य यथास्थिति र प्रतिगमनको विरुद्ध सङ्घर्ष गर्दै पहिचान र स्वायत्तता सहितको सङ्घीय संविधान निर्माण गर्नु तथा २०६२/६३ सालको शान्तिपूर्ण जनक्रान्ति, सशस्त्र सङ्घर्ष, मधेश जन विद्रोह, लिम्बुवान, थरुहट लगायत आदिवासी जनजाति आन्दोलनबाट प्राप्त उलब्धिहरूलाई संस्थागत गर्नु हो । यस गठबन्धन निम्न वमोजिम उद्देश्यहरू प्राप्तिका लागि सङ्घर्षरत रहने छ ।

१. अन्तरिम संविधान– २०६३ को भावना तथा आदिवासी जनजाति, मधेसी लगायत विभिन्न पक्षहरूसँग भएको सम्झौता र सहमति अनुरुप सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपालको संविधान निर्माण गरी जारी गराउने ।

२. राज्य पुनर्संरचना तथा राज्यशक्ति बाँडफाँट समिति र उच्च स्तरीय राज्य पुनर्संरचना सुझाव आयोगका प्रतिवेदनको आधारमा उत्पीडित राष्ट्रियताहरूको पहिचान र सामथ्र्यतालाई आधार मानी राज्यको पुनःसंरचना गर्ने । नेपाललाई बहुराष्ट्रिय राज्य घोषणा गर्ने । सङ्घ र प्रदेशको संरचना लोकतान्त्रिक, विभेदरहीत, समानुपातिक समावेशी हुने गरी निर्माण गर्ने ।

३. आत्मनिर्णयको अधिकार र स्वशासनयुक्त स्वायत प्रदेशहरू र विशेष संरचनाको स्थापना गर्ने । स्वायत प्रदेशभित्र एक जाति/समुदाय वा भाषाको बाहुल्यता रहेको क्षेत्रलाई स्वायत क्षेत्र, अल्पसङ्ख्यक, लोपोन्मुख र सिमान्तकृत रूपमा रहेका जाति/समुदायको संरक्षण गर्न संरक्षित क्षेत्र र स्वायत्त प्रदेश, स्वायत्त क्षेत्र र संरक्षित क्षेत्रबाट नसमेटिएकाहरूलाई समेट्न विशेष क्षेत्रको स्थापना गर्ने ।

४. केन्द्र र प्रदेशको बिचमा साधन, स्रोत र शक्तिको न्यायोचित बॉडफॉट गर्ने । सामान्यतः केन्द्रमा देशको सुरक्षा, मुद्रा, विदेश सम्बन्ध रहने । त्यस बाहेकका सम्पूर्ण अधिकार प्रदेश, स्थानीय निकाय र विशेष संरचनामा रहने । संविधानमा सूचीकृत नभएका अवशिष्ट अधिकारहरू प्रदेशमा रहने ।

५. मानव अधिकारको विश्वव्यापी घोषणा, अन्तर्राष्ट्रिय मानवीय कानुन र मानव अधिकार सम्बन्धी आधारभूत सिद्धान्त र मान्यताहरूका साथै सबै प्रकारका शोषण, दमन र विभेदबाट जनतालाई मुक्त गर्ने । शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, खाद्य संप्रभूता र सामाजिक सुरक्षाको दायित्व राज्यले नै बहन गर्नु पर्ने व्यवस्था गर्ने ।

६. समानुपातिक समावेशीकरणलाई मौलिक हकको रूपमा स्थापित गराई व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, सुरक्षा निकाय, संवैधानिक अङ्ग, सार्वजनिक संस्थान, सेवा प्रतिस्ठान लगायत राज्यका सम्पूर्ण अङ्ग र तहमा जातीय/सामुदायिक जनसङ्ख्याको आधारमा समानुपातिक समावेशी गराउने । ती सबै समूहमा महिलाहरूका लागि तत्काल न्युनतम् ३३ प्रतिशत व्यवस्था गर्ने ।

७. देशमा विद्यमान नागरिकता समस्यालाई अन्तरिम संविधानमा व्यवस्था भए बमोजिम सर्वसुलभ हुने गरी समाधान गर्ने ।

८. राजकीय भेदभावका कारण पछाडी परेका सम्पूर्ण उत्पीडित समुदायलाई राज्यले सामुहिक प्रवेशको अवसरका साथै शिक्षा, स्वास्थ्य र रोजगारीमा सकारात्मक विभेदको नीति अङ्गिकार गर्ने । दलितहरूका लागि क्षतिपुर्तिको विशेष व्यवस्था गर्ने । छुवाछूत जस्ता अमानवीय परम्परा र कार्यलाई कानूनी र व्यवहारिक रुपमा अन्त्य गर्न छुवाछुट मुक्त राष्ट्रको घोषणा कार्यान्वयन गर्ने ।

९. समावेशी शासकीय स्वरूप अवलम्बन गर्ने । राज्यको विभिन्न तहकोे निर्वाचनमा जातीय/सामुदायिक जनसङ्ख्याको आधारमा प्रतिनिधित्व हुने गरी समानुपातिक निर्वाचन प्रणाली सुनिश्चित गर्ने ।

१०. सङ्घीय न्याय प्रणालीको सिद्धान्तको आधारमा स्पष्ट कार्यक्षेत्रको बाँडफाँट गरी केन्द्रमा सङ्घीय अदालत र सवैधानिक अदालतको व्यवस्था गर्ने । प्रदेशहरूमा अधिकार सम्पन्न उच्च अदालतको व्यवस्था गर्ने ।

११. भूमिको उत्पादकत्व बृद्धि गर्न वैज्ञानिक भूमिसुधार लागूू गर्नुका साथै त्यसको आधारमा जमिनको चक्लाबन्दी गरी कृषिको औद्योगीकरण, व्यवसायिकरण र आधुनिकीकरण गर्ने नीति लिने । समाजवाद उन्मुख मिश्रित अर्थतन्त्र लागू गर्ने ।

१२. सङ्घीय नेपालमा राज्यका सबै अङ्ग, तह र निकायका सरकारी काम काजमा बहुभाषिक नीति लागू गर्ने । सङ्घीय सरकारले प्रयोग गर्ने भाषाहरूलाई सङ्धीय संविधानमा र प्रादेशिक सरकारले प्रयोग गर्ने भाषा प्रादेशिक कानुनमा सूचिकृत गर्ने ।

१३. आदिवासी जनजाति, मधेशी, शिल्पी/दलित, मुस्लिम, अल्पसङ्ख्यक तथा सिमान्तकृत समुदाय, अपाङ्ग, सुकुम्बासी, श्रमजीवी, मजदुर, किसान तथा पिछडिएको क्षेत्रका जनताको नागरिक तथा राजनीतिक अधिकार र आर्थिक, सामाजिक एवम् सांस्कृतिक अधिकारलाई संविधानमा सुनिश्चित गर्ने । आदिवासी जनजातिको अधिकार सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र सङ्घीय घोषणा पत्र–२००७ र आइ.एल.ओ. महासन्धि–१६९ लागू गर्ने ।

३) सङ्गठनात्मक संरचना

यस अवधारणा पत्रमा सहमति जनाई हस्ताक्षर गर्ने दलहरू यस गठबन्धनका सदस्य हुने छन् । गठबन्धनको कार्य समितिले समान उद्देश्य, नीति, कार्यक्रम बोकेका राजनीतिक दलसँग वार्ता अगाडी बढाई यस गठबन्धनमा सामेल गर्न सक्ने छ । गठबन्धनको नीतिगत निर्णय गर्न सदस्य दलहरूको अध्यक्ष सहितको तोकिएको ३ जना प्रतिनिधिहरू रहेको कार्य समिति हुने छ । उक्त समितिले आवश्यकता अनुसार उपसमितिहरू गठन गरी क्षेत्राधिकार तोक्न सक्ने छ । यो गठबन्धनलाई आवश्यकता अनुसार स्थानीय तहसम्म विस्तार गर्न सकिने छ ।

४) सचिवालय

गठबन्धनको दैनिक कार्य सञ्चालन गर्न एक सचिबालय हुने छ जसमा प्रत्येक सदस्य दलहरूबाट १/१ जना प्रतिनिधित्व रहने छ । सचिवालयले कार्य समितिले दिएका जिम्मेवारीहरू बहन गर्ने छ ।

५) घटक दलहरूको स्वायत्तता

गठबन्धनमा आबद्ध दलहरूले यसका निर्णय, नीति कार्यक्रम, सैद्धान्तिक मान्यता र उद्देश्य विपरीत हुने गरी आफनो गतिविधि गर्ने छैनन् । तर आफ्नो अलग कार्यक्रममा पार्टी नीति अनुरुप काम गर्न यसले वाधा गर्ने छैन ।

६) निर्णय प्रक्रिया

गठबन्धनको निर्णय प्रक्रिया सहमति र सहकार्यको मान्यता अनुरुप हुने छ ।

७) कार्यक्रम र सङ्घर्षको स्वरुप

गठबन्धनले घटक सदस्यहरूबिच सहकार्यको संस्कृति विकास गर्दै केन्द्र, प्रदेश र स्थानीय तहसम्म विभिन्न प्रकारका कार्यक्रम सञ्चालन गर्ने छ । गठबन्धनले आवश्यक ठानेमा साझा न्यूनतम कार्यक्रमका साथै यसको विधान, नियमावली, आचार संहिता तथा कार्यविधिहरू बनाउने छ । गठबन्धनको नीति, सिद्धान्त र मान्यता अनुरुप विभिन्न स्तरमा प्रचार प्रसार, जागरण, अन्तर्क्रिया, सभा, जुलुश, धर्ना, घेराउ, आम हड्ताल लगायतका संयुक्त सङ्घर्षका कार्यक्रमहरू सञ्चालन गर्ने छ ।

उपरोक्त उद्देश्यहरू पुरा गर्न गराउन हामी तपसील बमोजिमका हस्ताक्षरकारी राजनीतिक दलका प्रतिनिधिहरू एकतावद्ध भई अघि बढ्न प्रतिवद्ध छौं ।

क्र.स. राजनीतिक दल नाम थर पद हस्ताक्षर

१. सङ्घीय समाजवादी फोरम, नेपाल उपेन्द्र यादव अध्यक्ष
२. तराई मधेस लोकतान्त्रिक पार्टी महन्थ ठाकुर अध्यक्ष
३. सदभावना पार्टी लक्ष्मण लाल कर्ण सहअध्यक्ष
४. तराई मधेस सदभावना पार्टी, नेपाल महेन्द्र राय यादव अध्यक्ष
५. थरुहट तराई पार्टी, नेपाल भानुराम चौधरी अध्यक्ष
६. सङ्घीय लिम्बुवान पार्टी, नेपाल कुमार लिङ्देन “मिराक” अध्यक्ष
७. सामाजिक लोकतान्त्रिक पार्टी, नेपाल कुमार राई, अध्यक्षमण्डल सदस्य
८. आदिवासी जनजाति पार्टी, नेपाल तामाङ बुद्धराज स्याङ्तान अध्यक्ष
यो गठबंधन मा दलित लाई पनि ल्याउनु पर्यो।