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Thursday, December 10, 2015

भारत ले ठग्यो, नेपालमा डैम बनायो, नेपालको भूमिमा पानी जम्यो

ये अक्सर सुना जाता है नेपाल में। भारत ले ठग्यो, नेपालमा डैम बनायो, नेपालको भूमिमा पानी जम्यो। पानी जत्ति जम्मै इंडिया मा लग्यो। अभी भी सुना जा रहा है। अक्सर कोशी और गण्डक की बात की जाती है। उन प्रोजेक्ट में काम किये कोई इंजिनियर जिन्दा होगा मेरे को नहीं लगता। अगर हैं तो पुछा जाए। कि तुम ने उस जगह क्यों बनाई जहाँ बनाई? जहाँ बनी है उससे और दक्षिण बनने का सवाल पैदा नहीं होता है। सबसे उपयुक्त जगह है जहाँ नदी चुरिया पहाड़ को कटान करे। वो तो ऐसी बात हो गई कि मैं फरमाइस करूँ मेरे स्मार्टफोन के लिए उपयुक्त बैटरी वो होगा जो एक चार्ज पर लगातार एक सप्ताह चलता रहे। तो टेक्नोलॉजी वहाँ अभी पहुँची ही नहीं है। ये आल इंडिया रेडियो का फरमाइशी गीत कार्यक्रम है? कि बस मैं फरमाइस मारता रहूँ।

तो ये जो डैम बने हैं वो कब के हैं? नेहरू के समय के हैं। नेहरू को अगर नेपाल की जमीन लेनी थी तो खुद नेपाल के राजा ने नेहरू के ऑफर किया था त्रिभुवन ने, कि आप इसे भारत में ही मिला दो। जिस सख्स ने वो ऑफर अस्वीकार कर दिया तो वो फिर १००, २०० बिगहा पर फिर क्यों आँख गाड़ के बैठ गया?

मेरे को लगता है उस समय की इंजीनियरिंग ही ऐसी थी। उन इंजीनियर लोगों ने उस जगह डैम बनाई जहाँ वो बना सकते। बॉर्डर के पास अपने उपकरण ले जाना आसान रहा होगा। I am guessing. मैं कोई नितीश कुमार नहीं जो एक इंजीनियर के नजरिये से देखुँ। एक ऑप्शन है कि आप कोई डैम बनाओ ही नहीं। नेपाल में होता भी यही आया है। किसी भी प्रोजेक्ट का इतना विरोध इतना विरोध होता है कि अंत में जा के काम होता ही नहीं। बहुत अजीब माइंडसेट है। चरम गरीबी माइंडसेट है।

भारत ले ठग्यो, नेपालमा डैम बनायो, नेपालको भूमिमा पानी जम्यो। डैम बन्यो, पानी जम्यो। डैम बनता और पानी न जमता तो ताज्जुब होती। कि डैम बन गया फिर पानी जम क्यों नहीं रहा है? इंजीनियर को बोले थे डैम बनाने को लेकिन उसने बना दिया तटबन्धन। बुलाओ उसे। ये कोई लालु यूनिवर्सिटी का जाली सर्टिफिकेट वाला मालुम पड़ता है। निकालो नौकरी से। You are fired!

डैम बन्यो, पानी जम्यो नेपालको भूमिमा। तो डैम बना है नेपाल में पानी लॉन्ग जम्प मार के जायेगा जमने आसाम में? स्वाभाविक है नेपालके भूमिमें पानी जमेगा। डैम बना है नेपाल में पानी जा के जमेगा पप्पु यादव के दरबज्जे पर?

मोदी नया प्रस्ताव ले चुके हैं कोशी के लिए, कि एक नया डैम बनाया जाए, इस बार चतरा में जहाँ कोशी चुरिया पहाड़ क्रॉस करती है। और वहाँ से ढेर सारा पानी पश्चिम ले जा के गंडक में गिराया जाए। तो ये बात नेहरू नें क्यों नहीं सोंची? नेहरू ने मेरे स्मार्टफोन के बैटरी को सप्ताह दिन वाला क्यों नहीं बनाया? ऐसा क्यों बना दिया कि डेली चार्ज करना पड़ता है? I hate Nehru.

तो नेपाल में होता ऐसा क्यों है? विकास का नंबर वन बाधक यही बात है। देश गरीब रह जाता है। कहने वाले कहते हैं शिक्षा का लेवल low है, जनता शिक्षित हो जाए तो जागरूकता आएगी। गलत। ये भ्रष्टाचार के कारण ऐसा होता है। इतना ज्यादा भ्रष्टाचार है नेपालमे। इतना ज्यादा। नेता लोग पैसा डकार जाते हैं और भारत को गाली बोलते रहते हैं। जब तक जनता का ध्यान भारत पर है वो भ्रष्टाचार  में हिसाबकिताब मांगेंगे नहीं। वो बात है। It is about corruption. जनता पढ़ीलिखि न हो लेकिन नेता लोग तो पढ़े लिखे हैं। बहुत ज्यादा पढेलिखे ना हो लेकिन अभी का ओली भी और उससे पहले का सुशील भी, दोनों मैट्रिक पास।

नेता ईमानदार होते तो समझाते। लोगों को समझाते। कहते देखो विकास के लिए ये डैम बनना जरुरी है। देश में बहुत गरीबी है, बच्चे भुखे हैं।

अभी जो यकायक कहाँ से न कहाँ से नेपाल में एक anti-corruption आँधी आ गयी है, that has been very necessary. तो ये आया कहाँ से? जो anti-corruption body है उसमें प्रावधान सदैब रहा है कि आम जनता किसी भी नेता या कर्मचारी के विरुद्ध याचिका दायर कर सकते हैं। तो investigation होगा। तो जनता शिकायत कर रहे हैं। उन्हें अब लग रहा है सब के सब भ्रष्ट हैं। They are being able to see through the anti-India rhetoric by their politicians. भारत के राज्य सभा में जो बहस हुवा नेपाल पर वो नेपाल में लाइव प्रसारण हुवा। तो लोगों को अब लग रहा है की नाकाबंदी भारत ने नहीं की। कुकिंग गैस ना होना भारत के बदमाशी के कारण नहीं। They are connecting the dots. And they are saying the anti-India rhetoric has been designed to distract the people from corruption. लोग जग रहे हैं अच्छी बात है।

When was the last time India's upper house had this large an impact?




Monday, December 15, 2014

मैले नबुझेको कुरो: सन्दर्भ जल सम्पदा

यसरी डाम्दै छ माथिल्लो कर्णाली परियोजनाले

४,१८० मेगावाट उत्पादन हुन सक्ने ठाउँमा ९०० मेगावाट उत्पादन गर्ने सहमति गरियो भन्ने आरोप छ। यो त बड़ो अचम्मको आरोप भो। यसको टेक्निकल यथार्थ के हो? यो मेरो ज्ञान बहिरको कुरो। अर्को प्रश्न प्रक्रियाको हुन्छ। सहमतिको प्रक्रिया मिल्यो कि मिलेन? मिलेन भने हुनुपर्ने प्रक्रिया के हो? र त्यो हुनुपर्ने प्रक्रिया संस्थागत गर्न के गर्नुपर्ने भो?

र यो आरोप सही हो भने ४,१८० मेगावाट उत्पादन नगरेर ९०० मेगावाट उत्पादन गर्दा भारतलाई के फाइदा हुने हो? नेपालले ४०,००० मेगावाट उत्पादन गर्छ भने त्यो सबै किने पनि भारतलाई अपुग हुने हो। भने पछि दुबै देशलाई बेफाइदा हुने काम भएको हो?

तर यो लेखमा नेपालसँगै पुंजी छ भन्ने अचम्मको तर्क अगाडि सारिएको छ। पुंजी चीनसँग छैन, भारतसँग छैन। ती दुबै देश जो कि संसारको नंबर १ र ३ स्थानमा छन विदेशी पुंजी भित्र्याउन तछाड़ मछाड़ गर्छन। नेपाल चाहिं अफ्रिका बाहिरको सबैभन्दा गरीब देशले विदेशी पुंजी चाहिँदैन भनेर भन्ने?

यस लेखको अर्को कमजोरी भारतको एउटा प्राइवेट कंपनीलाई भारत सरकार मानेर कुरा गरिएको छ। कोका कोला भनेको अमेरीकी सरकार होइन।



Sunday, October 12, 2014

आत्म निर्णयको अधिकार प्रेशर टैक्टिक हो

आत्म निर्णयको अधिकार सहितको संघीयताको व्यवस्था भएपछि विभेदमा परेका समुदायहरुप्रतिको विभेद समाप्त गर्न राजनीतिक पार्टीहरुले एकले अर्कोसँग प्रतिस्प्रधा गर्नेछन् र विभेद चांड़ोभन्दा चांड़ो समाप्त हुँदै जानेछ भन्ने आशा गर्न सकिन्छ।

आत्म निर्णयको अधिकार भनेको अलग देशहरु बनाउँदै जाने रोडमैप होइन। व्यबहारको कुरा गर्ने हो भने। फ्रांस र जर्मनी एउटै देश बन्न चाहिरहेको जमानामा भएको देशलाई पनि दुई-चार टुक्रा पार्ने आर्थिक विकासकालागि हितकर कुरो होइन।

दक्षिण एशियाले युरोपसँग आर्थिक रुपले प्रतिस्प्रधा गर्ने सपना देख्ने हो भने पाकिस्तान र भारतबीच शान्ति स्थापना गर्नु पर्ने हुन्छ, बोर्डर खुला गर्नु पर्ने हुन्छ। दक्षिण एशियाको आर्थिक एकीकरण गर्नुपर्ने हुन्छ।

यदि नेपाल सांस्कृतिक बिबिधता नभएको देश हुँदो हो, एउटै जात वा समुदाय भएको देश हुँदो हो भने पनि संघीयता चाहिने कुरो हो। संघीयतामा power devolution हुन्छ। त्यसो हुँदा सरकार जनताप्रति बढ़ी जवाफदेही हुन्छ र सरकारी तंत्र बढ़ी efficient हुन्छ।

तर नेपाल विविधताले भरिएको देश हो र विगतका विभेद समाप्त पार्ने अस्त्र संघीयता हो।

नेपालको अहिलेको सबैभन्दा महत्वपुर्ण राजमार्ग (पुर्व पश्चिम राजमार्ग) तराईमा छ। त्यो राजमार्ग मधेशका राज्यहरुमा पर्ने भो, मधेशलाई फ़ायदा, पहाड़लाई घाटा लाग्ने भो भन्ने तर्क बेबुनियाद हो। त्यो राजमार्ग राज्य सरकारको मातहतमा रहने होइन। त्यो केन्द्र सरकारको मातहतमा रहने हो। तराईमा रहेको त्यो राजमार्ग सारा देशको साझा सम्पत्ति भएर नै रहने छ र रहनु पनि पर्छ।

मान्छेले हाइड्रो हाइड्रो भन्दैछन। त्यो पनि त्यस्तै हो। तराई र पहाड़ नमिसाएर राज्यहरु बनाउने हो भने हाइड्रो त सब पहाड़ले पाउने भो भन्ने तर्क सार्नेहरु देखिएका छन। त्यो तर्क बेबुनियाद हो। जस्तै भर्खर एउटा सन्धि भयो ९०० मेगावाट बाला एउटा प्रोजेक्ट को। त्यसको श्रेय मोदीलाई जान्छ। त्यसमा नेपाल सरकारले २७% स्वामित्व पाउने कुरा छ। १२% बिजुली मुफ्तमा पाउने। बाँकी १५% को निर्यात गरेको पैसा पाउने। त्यो पैसा खप्तड या खसान राज्यले पाउने होइन, केन्द्र सरकारले पाउने हो। र त्यो केंद्र सरकारले पाएको पैसा के हुने, कसो हुने भन्ने कुरा तराईका सांसदहरुले पनि तय गर्ने हो।

भनेपछि केन्द्र सरकारमा तराईले जनसंख्याका आधारमा संसदमा समानुपातिक प्रतिनिधित्व पाइ रहेसम्म हाइड्रोमा तराईवासी ठगिने कुरा सही होइन।


Monday, August 12, 2013

Indra Tamang



I read Indra Tamang's entire blog yesterday, like every single blog post, how about it? And I left a comment at the bottom of each post.

I called up a mutual friend to ask for Indra's number. In less than 15 minutes I was on the phone with Indra who gave me his email address over the phone. Within minutes his online world opened up for me. He had a blog, wow, and photo albums on Picasa. I went through all the pictures. Then I started reading his blog.

I was looking for his number because he popped up on my list of about a dozen Nepalis in the city to approach for my Nepal Hydro Seed Fund. But before you know I was reading up blog post after blog post of his. I was gripped. A pretty good picture of who he was a person and what his story had been going back decades emerged from the posts. I did take a break and went for a long walk in between. But by the time I was done it was two in the morning. I emailed him and our mutual friend to share the news: Hi, I just finished reading your entire blog.

He was nice enough to spend a few hours with me this morning. We had a wonderful conversation. He is a good Buddhist.



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