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Thursday, January 21, 2016

के एउटै मधेसी पार्टी बन्न संभव छ?

सबै मधेसवादी दल मिलेर ठूलो शक्ति निर्माण गर्नुपर्छ -महामन्त्री सोनल
तराई मधेस लोकतान्त्रिक पार्टीका महामन्त्री जितेन्द्र सोनलले मधेस अधिकारका लागि लडिरहेका सबै दल मिलेर एक ठूलो शक्ति निर्माण गर्न आवश्यक भएको बताउनुभएको छ । सिरहाको लहानमा आज सञ्चारकर्मीसँग कुराकानी गर्दै उहाँले मधेसवादीहरुको एउटा बेग्ले शक्ति बने मधेसको मुक्ति सहज हुने धारणा व्यक्त गर्नुभयो । उहाँले भन्नुभयो – “कहीँ संविधान कार्यान्वयन भएर निर्वाचन भयो भने मधेसवादी शक्ति मिल्नैपर्ने हुन्छ । त्यसैले अहिले नै एउटा शक्ति भएर अगाडि बढ्न जरुरी छ ।” उहाँले भन्नुभयो –

“अशोक राईको पार्टीसँग उपेन्द्र यादवले एकीकरण गर्दा जति सजिलो ढङ्गले भयो त्योभन्दा सजिलै मधेसवादी दलहरुको शक्ति बन्न सक्छ ।”

एक छुट्टै प्रसङ्गमा महामन्त्री सोनलले मधेसका २२ जिल्ला पुग्ने एक स्वतन्त्र र निष्पक्ष मिडियाको आवश्यकता रहेको बताउनुभयो । देशभर पुग्ने पत्रिका धेरै रहे पनि स्वतन्त्र र निष्पक्ष समाचार सम्प्रेषण नगर्ने गरेको उहाँको गुनासो थियो ।

Wednesday, August 19, 2015

आंदोलन गृह मंत्री र प्रधान मंत्री, सरकार को राजीनामा सम्म पुग्न सक्छ

यो मधेसी जनजाति दलित आन्दोलन वार्ता को लक्ष्य गरेर हिँडेको होइन। आंदोलन गृह मंत्री र प्रधान मंत्री, सरकार को राजीनामा सम्म पुग्न सक्छ। नया अंतरिम सरकार सम्म पुग्न सक्छ। एक तिहाइ तीन दल लाई दिने गरी, दुई तिहाइ मधेसी जनजाति दलित ले लिने गरी, संविधान सभा भंग गर्ने गरी। देश तेस्रो संविधान सभा मा पुग्छ भने पुग्छ। दुई चार अरब बचाएर देश लाई दुई चार सय खरब को घाटा लगाउनु हुँदैन।


Thursday, November 06, 2014

पुर्ण लोकतान्त्रिक राजनीतिक पार्टी

पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्र वाली पार्टी
  1. पार्टीके केन्द्रीय अध्यक्षको पार्टी महाधिवेशनमें बहुमतके आधार पर चुना जाएगा। अध्यक्षके उम्मीदवारको ५०% से ज्यादा मत लाने होंगे।
  2. ३१ केंद्रीय समिति सदस्य होंगे। उनको भी पार्टी महाधिवेशनमें चुना जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता मतदान करेंगे।
  3. ५ पदाधिकारी होंगे। उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, संगठक। अध्यक्ष। पार्टी महाधिवेशनमें सब चुने जाएंगे। 
  4. केन्द्रीय समितिकी बैठक होगी प्रत्येक तीन महिनेमें एक बार। उस बैठकके minutes पार्टीके वेबसाइट पर रखे जाएंगे। 
  5. प्रत्येक संसदीय क्षेत्रमें एक क्षेत्रीय समिति होगी। आन्तरिक निर्वाचनद्वारा चुना गया व्यक्ति क्षेत्रीय अध्यक्ष होगा, और चुनावमें टिकट भी उसीको मिलेगा। टिकट पार्टी अध्यक्ष या केंद्रीय समिति वितरण नहीं करेंगे।
  6. पार्टीके आय व्ययका पैसे पैसेका हिसाब पार्टीके वेबसाइट पर रखा जायेगा। जो डोनर नाम न खुलाना चाहें उनका नाम ना खुलाया जाएगा।
  7. स्थानीय चुनावमें टिकटका वितरण भी उसी तरह किया जाएगा, उपरसे टिकट वितरण नहीं किया जाएगा।
  8. पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका: वार्ड लेवलसे केन्द्र तक आप चुनाव ही कराते रहिएगा तो कितने बैलट छपेंगे? खर्चा कितना बैठेगा? कौन देगा खर्चा? एक तरीका है जिसमें खर्चा ही नहीं होता है। मान लिजिए पार्टीका महाधिवेशन हो रहा है। देश भरसे १,००० प्रतिनिधि जमा हुए हैं। पार्टी अध्यक्षके लिए ३ उम्मीदवार मैदानमें हैं। तो क्या करेंगे। उन १,००० लोगोको आप तीन गुटमें बँटके खड़े होनेको बोलेंगे। उम्मीदवार क के नाम पर ३५० लोग खड़े हुए, उम्मीदवार ख के नाम पर ३५०, और उम्मीदवार ग के नाम पर ३०० लोग, लेकिन नियम है कि पार्टी अध्यक्षके लिए कमसेकम ५०% वोट चाहिए। तो उम्मीदवार ग को पराजित घोषित किया जायेगा, और उनके ३०० समर्थकोंको तभी कहा जाएगा, अब आप उम्मीदवार क और उम्मीदवार ख में से एकको चुनिए। वो ३०० लोग चलके दोमें एक चुनेंगे। पैदल चलके मत डालेंगे। बैलटकी कोइ जरुरत नहीं है। खुला लोकतन्त्र। ये एक भी पैसा खर्चा किए बगैर चुनाव करानेका तरीका स्थानीय लेवल पर और भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वार्ड वार्ड में संगठन निर्माण करना है तो कैसे करेंगे नेतृत्वका चयन? ऐसे ही।
  9. पार्टीमें ५१% पद फ्री कम्पटीशनसे, और ४९% आरक्षणके सिद्धान्त पर बाँटा जाए। दलित, महिला, मुस्लमान और गरीबको आगे लाया जाए और नेतृत्वकी ओर बढ़ाया जाए।