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Wednesday, January 28, 2015

केपी काठमाण्डुको राजपक्ष हो त?

दिल्ली धाउन लागे देखि नेपालको राजनीतिमा अलि अलि उदाएको मान्छे केपी ओली। बेइजिंगमा यो मान्छेको नाम चिन्ने कोही छैन। नेपाल भनेको दक्षिण एशिया हो र दक्षिण एशिया भनेको भारतको प्रभाव क्षेत्र हो।

चीनलाई नेपालको विकासमा सघाउन कुनै रोकटोक छैन। चीनको आर्थिक प्रगतिको कामना सबैले गर्दछ। तर तिब्बतको मानिसलाई नेपालमा असजिलो गर्ने कामको म्याद सकिन सकिन लागेको छ।

भारतलाई चीनसँग जुधायेर फाइदा लिउँला भन्ने सोँच्नेहरुको हाल राजपक्षको जस्तो हुन्छ। तिनीहरु पालै पिलो नेपालको राजनीतिबाट गायब हुन्छन्। लोकतंत्र र मानव अधिकारको सवालमा कोहीसँग समझौता हुँदैन, चीनसँग पनि हुँदैन।

केपी काठमाण्डुको राजपक्ष हो त? जब गिदरकी मौत आती है तो वो शहरकी ओर भागता है भने जस्तो। युपी र बिहार भनेर केपीले कसलाई चिढ़यौन खोजेको? छोटी मुँह बड़ी बात। एमाले पार्टी भनेको नेपालको राजनीतिबाट गायब हुन हुन लागेको पार्टी हो।

ओबामा दिल्ली आए। पहिलो ४५ मिनट मोदी र ओबामा बीच चीनका बारे कुरा भयो। चीनले जापानदेखि भियतनाम फिलिफिन्स भारत सबैसँग सीमानाको कुरामा निहुँ खोजेको छ। साउथ चाइना सी लाई व्यापारकालागि खुला राख्ने प्रतिबद्धता जाहेर गर्दै भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान र अमेरिकाको अलायन्स बन्ने शुरशार हुँदैछ। त्यो लोकतन्त्रहरुबीचको अलायन्स हो।

काठमाण्डु कुँवाका भ्यागुताहरुले writing on the wall पढ्ने हो।

यो राजपक्ष अनुहार हेर्दै रावण जस्तो।


Monday, November 24, 2014

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय

English: Narendra Modi in Press Conference
English: Narendra Modi in Press Conference (Photo credit: Wikipedia)
मोदी संसारके सबसे व्यस्त व्यक्ति हैं। उनकी एक खुबी है - quick decision making की। वो decisive हैं। जनकपुर और लुम्बिनी जाने की बात उन्होने सारे देशके सामने कहा था, भड़ी संसद में, सारी दुनियाके सामने। उनको और उनके टीम को तभी ही मालुम था कि भारतके किन राज्योंमें कब चुनाव है। बिहार में और उत्तर प्रदेश में जहाँ कि अभी मोदीकी पार्टीकी राज्य सरकार नहीं है, और अगर उनकी पार्टी इन राज्योंमें सरकार बना लेती है तो भारतके upper house में उनको बहुमत मिल जाएगी और वो और स्पीड में काम कर सकेंगे। इस बात से वो वाफिक हैं। जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमणसे उनको बिहार और उत्तर प्रदेश में फायदा था।

ये कहना कि व्यस्ततावश उन्होने जनकपुर और लुम्बिनी भ्रमण कैंसिल कर दिया --- ये कूटनीतिक भाषाको न समझना है। वो कैंसिल करने का निर्णय उन्होने एक मिनट में लिया, क्यों कि उनके पास उस के लिए उससे ज्यादा समय है ही नहीं। और एक बार निर्णय कर लेने के बाद फिर से उस निर्णयको revisit करने का समय उनके पास नहीं है।

मोदीने एक मिनट में लिया निर्णय। उनको जनकपुरमें आम जनताको सम्बोधन करना था। तीव्र इच्छा थी। प्रोग्राम schedule पर एक निगाह दिया। देखा आम सभा सम्बोधन प्रोग्राम में है ही नहीं। तो उन्होने जनकपुर जानेका प्रोग्राम कैंसिल कर दिया। खिसा खतम।

जनकपुर नगरीके इतिहासमें टीकमगढ़की महारानीने अपने गलेका नौ लाखका हार उतार कर जो दे दिया और जानकी मन्दिर बनी, वो बेमिसाल है। लेकिन मोदी उससे भी आगे जाने वाले थे। ५०० करोड़का पैकेज तैयार था। जनकपुर नगरीका कायापलट होना था। टीकमगढ़की महारानीसे भी तीन कदम आगे चल्ने वाले थे मोदी।

उस सब पर वामदेवने और काठमाण्डु के शासक वर्गने पानी फेर दिया। कितना गहरा है उन लोगो का घृणा! खुद तो कुछ करते नहीं हैं, मधेसीका पैसा ले जाते हैं लेकिन मधेसीको बजट में जगह नहीं देते हैं। और मोदी जैसे लोग उपहार ले कर आते हैं तो उसमें भी रोड़ा डाल देते हैं। वामदेवको माँ जानकीका श्राप लगेगी। वो तो सीधा नरक जायेगा बन्दा।

मोदी grassroots से उपर आए लोग हैं। उनको ये समझने में ज्यादा कठिनाइ नहीं होगी। ब्रिटिश साम्राज्यसे भारत तो मुक्त हो गया लेकिन मधेश अभी तक उस श्राप से मुक्त नहीं हो पाया है।


मोदी के प्रति मधेश के जनता में एक क्रेज है
Rakesh Sood
सुशील-वामदेव: खतरनाक कि निकम्मा?
सुशील-वामदेवको सरकार निकम्मा भएकोले मोदी जनकपुर नआएको
उल्लु स्वाँठ वामदेव
केपी ओली प्रधान मंत्री बन्न शारीरिक रुपले असक्षम, वामदेव मानसिक रुपले
बारह बिघा मैदान टुडिखेल भन्दा बारह गुणा ठुलो हो
आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ
वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा
मोदी जनताको छोरो आम जनतालाई सम्बोधन गर्न चाहन्छ
मोदीको भ्रमण रद्द गर्नु
फिजीके इंडियन और नेपालके इंडियन