Wednesday, July 22, 2015

सुधारिएको पंचायती व्यवस्था र पानी हालिएको दुध (संघीयता)

यो संविधान मस्यौदा ले दूधमा पानी हाल्ने काम गरेको छ। २०३६ मा तथाकथित सुधारिएको पंचायती व्यवस्था आयो। १० वर्ष पछि ढल्यो। अहिले संघीयता लाई disfigure र dilute गर्ने प्रयास भइराखेको छ। संविधान मस्यौदा मा रहेको संघीयता लाई मैले त चिन्नै सकिन।

लोकतंत्र भनेको एक व्यक्ति एक मत हो। संघीयता पनि एक व्यक्ति एक मत हो।



क्या प्रहरी के दमन, हिंसा और मनमानी से ही देश चलायेगें हमारे जिम्मेदार मंत्रीगण?
देश का एक छोर से दूसरा छोर रक्ताम्भ है, जनता विचलित है, उग्र है किन्तु गृहमंत्री वक्तव्य दे रहे हैं कि संघीयता के बिना भी देश चलेगा, संचारमंत्री कह रहे हैं कि मसौदा फाड़ने या जलाने से कुछ हासिल नहीं होगा । तो क्या प्रहरी के दमन, हिंसा और मनमानी से देश चलाने की इच्छा रखे हुए हैं हमारे जिम्मेदार मंत्रीगण ? ये किस देश की बात कर रहे हैं ? जिस देश की आधी से अधिक आबादी इनके विरोध में खड़ी है, जहाँ इनकी उपस्थिति सहन नहीं की जा रही है, जहाँ इन्हें इनके क्षेत्र से ही भगाया जा रहा है, क्या ये इनका देश नहीं है ? या ये जनता इनके नहीं हैं ?

सोशल मीडिया दमन चक्र की कहानियों से रंगा हुआ है किन्तु राष्ट्रीय संचार माध्यम जनता के उत्साह की कहानियाँ सुना रहा है

........ सुझाव संकलन का तमाशा समाप्त हो चुका है । सुझाव संकलन के नाम पर एक गरीब और प्राकृतिक आपदा से जूझता देश करोड़ों के बारे न्यारे कर चुका है । आठ साल के निचोड़ के रूप में आया मसौदा जनता नकार चुकी है किन्तु यह न तो प्रधानमंत्री को नजर आ रहा है और न ही गृहमंत्री को और न ही सम्भावित प्रधानमंत्री जी को । ....... मधेश जग चुका है, वहाँ की मिट्टी पहले भी आन्दोलित होकर निर्दोषों के खून से रंगी जा चुकी है, आज फिर उसी पुनरावृत्ति की सम्भावना स्पष्ट नजर आ रही है ।
मधेशी शिर्ष नेता मधेस की ओर, आन्दोलन प्रभावकारी बनाने का निर्णय
मोर्चा के चारों अध्यक्ष द्वारा विरगंज, भैरहवा, जनकपुर और विराटनगर की आमसभा मे सामुहिक रुप से सम्बोधन करने का भी निर्णय लिया गया है ।

७ गते विरगंज, ८ गते भैरहवा, १० गते जनकपुर और ११ गते विराटनगर

मे आमसभा का आयोजन होने की जानकारी मोर्चा ने दी है । आमसभा सम्पन्न करने के बाद विराटनगर से ही थप आन्दोलन के कार्यक्रम घोषणा करने की रणनीति मोर्चा की है । मधेस मे आन्दोलन को कैसे प्रभावकारी रुप से आगे ले जाना है इसपर नेताओं ने अपना गृहकार्य सुरु कर दिया है ।
प्रत्यक्ष कार्यकारीमा मत आयो, कांग्रेसले निर्णय पुनर्विचार गर्नुपर्छ : योगेश भट्टराई
नेकपा एमालेका सचिव योगेश भट्टराईले मस्यौदा आएका जनताको सुझावलाई संबोधन गर्न चार दलवीच भएको १६ बुँदे सम्झौता परिमार्जन गर्नुपर्ने अवस्था आएको बताएका छन् । ..... उनले ८० प्रतिसत भन्दा बढी जनताले प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधानमन्त्रीको पक्षमा सुझाव दिएकोले नेपाली काग्रेसले आफ्नो निर्णयमा पुर्नविचार गर्नु पर्ने आवश्यकता औल्याएका हुन् । ...... केन्द्र, राष्ट्रिय सभा र प्रदेशसभामा सदस्यहरुको संख्या बढी भएको, स्थानीय निकायको अधिकार कम भएको, धर्मनिरपेक्षताको ब्याख्या हुनु पर्ने, प्रेस सम्बन्धी अधिकार संसोधन गर्नु पर्ने सुझाव ....... संविधानम पूर्ण प्रेस स्वतन्त्रता उल्लेख गर्नु पर्ने

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