Sunday, September 28, 2014

Madhesi Kranti (3) On The Way


इसमें संगठन विस्तारका काम बहुत जरुरी है। मधेश स्वराजका माँग अहिंसात्मक है और सदैव रहेगा, और वो conditional है। अगर मधेसीके विरुद्ध विभेद खतम ना हो तो उस रास्ते पर आगे बढ़ना है।

तराईके गाओं गाओंमें, शहर शहरमें संघर्ष समिति बनाना बहुत जरुरी है। आशा ये है कि इस चेतावनीके डरसे अनिश्चितकालीन बंद शुरू होनेसे पहले ही वो सीकेको रिहा कर दें। लेकिन उसकी संभावना बहुत कम है जैसे कि मेरेको लगता है। तो बात आगे बढ़ेगी।

अनिश्चितकालीन बंदका माँग स्पष्ट होना बहुत जरुरी है। पहला माँग तो सीकेकी रिहाईकी ही है। लेकिन माँगे बढ़ेंगे।

अगर एक भी शहीद पैदा हो तो गृह मंत्रीके राजीनामाकी माँग थप दी जाएगी। अगर १० से ज्यादा शहीद होते हैं तो प्रधान मंत्रीके राजीनामाके वगैर बन्द ख़त्म नहीं होगी। अगर बन्द ५ दिनसे उपर हो जाए तो नए संविधानमें (१) एक मधेस दो प्रदेश (चितवन से कंचनपुर एक, बीरगंजसे झापा तक दुसरा) (२) आत्म निर्णयके अधिकारकी गारण्टी मांगी जाएगी।

ये जो संगठन निर्माण हो रहा है, उसकी पवित्रताको कायम रखा जाएगा। पुर्ण आन्तरिक लोकतंत्रवाली एक नयी पार्टीका निंब रखा जा रहा है। क्रान्तिके बाद बाहरसे लाके उपरसे नेताओको थोपा नहीं जायेगा। संगठनमें आइए और आतंरिक चुनाव जितिये, पार्टी प्रवेशका वही एक तरीका है।

मधेश अलग देश होनेका रोडमैप है कि ये पार्टी मधेशके दोनो प्रदेशोंमें बहुमत लावे। उसके बाद जनमत संग्रह करे। उस जनमत संग्रहमें अगर मधेश अलग देशवाले मुद्देको बहुमत मिलती है तो मधेश अलग हो गया।

लेकिन अगर पहाड़ी अदालत सीकेको आजीवन कारागार या ऐसी कोइ सजा सुनाती है तो ये क्रान्ति मधेशके अलग देशकी घोषणा खुद करेगी। शायद ऐसी नौबत न आए।

पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्र वाली पार्टी

  1. पार्टीके केन्द्रीय अध्यक्षको पार्टी महाधिवेशनमें बहुमतके आधार पर चुना जाएगा। अध्यक्षके उम्मीदवारको ५०% से ज्यादा मत लाने होंगे।
  2. ३१ केंद्रीय समिति सदस्य होंगे। उनको भी पार्टी महाधिवेशनमें चुना जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता मतदान करेंगे। 
  3. ५ पदाधिकारी होंगे। उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, संगठक। अध्यक्ष। 
  4. प्रत्येक संसदीय क्षेत्रमें एक क्षेत्रीय समिति होगी। आन्तरिक निर्वाचनद्वारा चुना गया व्यक्ति क्षेत्रीय अध्यक्ष होगा, और चुनावमें टिकट भी उसीको मिलेगा। टिकट पार्टी अध्यक्ष या केंद्रीय समिति वितरण नहीं करेंगे। 
  5. पार्टीके आय व्ययका पैसे पैसेका हिसाब पार्टीके वेबसाइट पर रखा जायेगा। जो डोनर नाम न खुलाना चाहें उनका नाम ना खुलाया जाएगा। 
  6. स्थानीय चुनावमें टिकटका वितरण भी उसी तरह किया जाएगा, उपरसे टिकट वितरण नहीं किया जाएगा। 
  7. पार्टीका नाम मधेश स्वराज पार्टी रखा जा सकता है। मापदण्ड होगी। कि १० सालके अन्दर मधेसीयोंको नेपाल सरकारके संयन्त्रोमें समानुपातिक सहभागिता नहीं मिलती है तो अलग देश बनानेकी पहल की जाएगी। समानुपातिक बनानेके ढेर सारे तरीके हैं। समानुपातिकताका पहला मुद्दा तो है कि ४० लाख मधेसी जो कि नागरिकता पत्रसे वञ्चित किए गए हैं उनको नागरिकता पत्र वितरण करो। अगर देशसे अलग होना प्रमुख उद्देस्य रहता तो ये माँग उठाते क्या? मधेसको अलग देश बनानेकी इच्छा रखनेवाले वो हैं जो ४० लाख मधेसियोको नागरिकता पत्रसे वञ्चित किए हुए हैं। समानुपातिकताका दुसरा मुद्दा है आरक्षण, इसका कानुनी प्रावधान हो गया है, लेकिन इसको लागु नहीं किया जा रहा है, जैसे कि नेपाल सेनाने इस ४९% आरक्षणके प्रावधानको माना ही नहीं है। नेपाल सेना संसदके आदेशको न माने ये तो पाकिस्तानी स्टाइल हो गया। नेपाल सेना नेपालके संसदसे उपर है क्या? नेपाली कांग्रेसके "लोकतंत्रवादियो"को ये बात अखडती क्यों नहीं? समानुपातिकताका तीसरा मुद्दा है downsizing का। नेपाल सेनाकी संख्या १००,००० से घटाके १०,००० पर लाना है। नेपाल पुलिसकी संख्याको घटाके १००,००० से ३०,००० पर लाना है। संघीय नेपालमें पुलिस तो सभी राज्यके अपने अपने रहेंगे। कुछ मंत्रालयको dissolve करना है। सभीको downsize करना है। बस इन तीन अस्त्रोके प्रयोगसे नेपालको एक रखा जा सकता है। 


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